Gaganyaan Mission: क्या है क्रू एस्केप सिस्टम टेस्ट? चार प्वाइंट में जानें इस परीक्षण से ISRO का लक्ष्य   

Gaganyaan Mission: अंतरिक्ष यात्रियों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए इस ट्रायल को रखा गया। आइए जानने की कोशिश करते हैं कि क्रू एस्केप सिस्टम टेस्ट से इसरो को क्या हासिल होगा

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Mohit Saxena
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gaganyaan mission ( Photo Credit : social media )

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भारत अंतरिक्ष की ओर एक बड़ी छलांग लगाने की तैयारी कर रहा है. ऐसे में आज का दिन बेहद अहम है. गगनयान मिशन को लेकर पहला बड़ा ट्रायल हो गया है. भारत को इसमें सफलता हासिल हुई है. गगनयान मिशन की सफलता को लेकर इसरो के वैज्ञानिकों ने एक बड़ा परीक्षण किया है. भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के गगनयान मिशन से एस्ट्रोनॉट को धरती पर सुरक्षित लाने वाले सिस्टम 'क्रू एस्केप सिस्टम टेस्ट' की टेस्टिंग हुई है. अंतरिक्ष यात्रियों की सुरक्षा को लेकर यह ट्रायल बेहद अहम है. आइए जानते हैं कि क्रू एस्केप सिस्टम टेस्ट क्या है.   

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1. क्रू एस्केप सिस्टम को इस तरह समझें 

अगर मिशन के वक्त कोई गड़बड़ी सामने आती है तो उस वक्त भारतीय एस्ट्रोनॉट को सुरक्षित बाहर कैसे धरती पर लाया जाए, इसकी टेस्टिंग होनी है. इसके लिए बड़ा ट्रायल होने जा रहा है. इस ट्रायल में रॉकेट में किसी तरह की गड़बड़ी होने पर उसके अंदर मौजूद अंतरिक्ष यात्रियों को सुरक्षित धरती पर लाने वाले सिस्टम की जांच होगी. इसमें टेस्ट के लिए वीइकल अबॉर्ट मिशन TV-D1 श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से उड़ान भरेगा.  इस फ्लाइट में तीन भाग होंगे. पहला सिंगल स्टेज लिक्विड रॉकेट, दूसरा क्रू मॉड्यूल और तीसरा क्रू एस्केप सिस्टम.

2. एक पॉइंट पर अबॉर्ट जैसी स्थिति बनाई जाएगी

क्रू एस्केप सिस्टम यानी अंतरिक्ष यात्री को रॉकेट से दूर ले जाया जाएगा. इसकी टेस्टिंग को लेकर टेस्ट वीइकल तैयार किया जाएगा. ये सिंगल फेज रॉकेट होगा. यह गगनयान के आकार और वजन का है.  इसमें गगनयान जैसे सारे सिस्टम मौजूद होंगे. टेस्ट वीइकल एस्ट्रोनॉट के लिए बनाए गए क्रू मॉड्यूल को अपने साथ ऊपर ले जाने वाले हैं. 

इसके बाद 17 किलोमीटर की ऊंचाई पर किसी एक पॉइंट पर अबॉर्ट जैसी स्थिति क्रिएट की जाएगी. यहां क्रू एस्केप सिस्टम को रॉकेट से अगल किया जाएगा. इस दौरान ये टेस्ट होगा कि यह सिस्टम ठीक तरह से काम कर रहा है या नहीं. इसे पैराशूट की मदद से उतारा जाएगा. यह सिस्टम श्रीहरिकोटा तट से करीब 10 किलोमीटर दूर बंगाल की खाड़ी को छूएगा. भारतीय नेवी के जहाज और डाइविंग  टीम की सहायता से इसे बाहर निकाले की कोशिश होगी. 

3. चार एस्ट्रोनॉट को मिल रही ट्रेनिंग 

इसरो के इस मिशन के लिए चार एस्ट्रोनॉट को ट्रेनिंग दी जा रही है.  बेंगलुरु में स्थापित एस्ट्रोनॉट ट्रेनिंग सेंटर में कई टास्क के तहत ट्रेनिंग दी जा रही है. इसमें क्लासरूम ट्रेनिंग, फिजिकल फिटनेस ट्रेनिंग, सिम्युलेटर ट्रेनिंग और फ्लाइट सूट ट्रेनिंग है. टीवी-डी1 क्रू मॉड्यूल   की समुद्र से रिकवरी का काम नेवी करेगी. रॉकेट द्वारा उड़ान भरने  के 531.8 सेकंड के बाद क्रू मॉडयूल लॉन्च पैड से करीब दस किलोमीटर की दूरी में गिरेगा. रिकवरी जहाज क्रू मॉड्यूल के नजदीक पहुंचेगा. इसके बाद गोताखोरों की एक टीम उसे रिकवर करेगी. रिकवरी से पहले तक ये तैरता रहेगा.

4. 2040 तक इंसान को चांद पर भेजने का लक्ष्य 

आपको बता दें कि वर्ष 2040 तक भारत ने इंसान को चांद पर भेजने का लक्ष्य रखा है. पीएम मोदी ने भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन के साथ एक बैठक में इसरो के प्रमुख एस.सोमनाथ और  दूसरे वैज्ञानिकों को इस पर काम करने का निर्देश दिया है. इस दौरान पीएम ने गगनयान मिशन की समीक्षा बैठक की थी. 

Source : News Nation Bureau

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