Gallantry Awards: देश के वीर सपूतों में मरणोपरांत कैप्टन अंशुमान सिंह को कीर्ति चक्र और राइफलमैन कुलभूषण मांटा को शौर्य चक्र से नवाजा गया है. दोनों की वीर गाथा सुनकर हर किसी के आंखों में आंसू आ जाते हैं. विपरीत परिस्थितियों में भी दोनों ने अपने हौसले को बरकरार रखा और अंतिम तक सांस मां भारती की सेवा करते रहे. शुक्रवार को अपने बलिदान के लिए कैप्टन अंशुमान सिंह को मरणोपरांत कीर्ति चक्र से नवाजा गया. इस सम्मान को लेने के लिए शहीद की पत्नी सृष्टि सिंह और मां मंजू सिंह पहुंचीं. आपको बता दें कि 19 जुलाई 2023 की सुबह के वक्त भारतीय सेना के कई टेंट में आग लग गई थी.
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हादसे में रेजिमेंटल मेडिकल अफसर देवरिया निवासी कैप्टन अंशुमान सिंह शहीद हो गए. अंशुमान ने सेना के टेंटों में लगी आग पर काबू पाने के लिए अपनी जान लड़ा दी थी. सौनिकों को मौत के मुंह से बचाने के लिए उन्होंने अंतिम सांस तक हिम्मत नहीं हारी. अंशुमान सिंह की हाल ही में शादी हुई थी. कैप्टन अंशुमान 15 दिन पहले ही सियाचिन गए थे.
15 दिन पहले ही सियाचिन रवाना हुए थे
उनका चयन पढ़ाई के बाद आर्मड फोर्स मेडिकल कॉलेज पुणे में हुआ था. यहां से MBBS करने के बाद कैप्टन अंशुमान सिंह सेना के मेडिकल कोर में शामिल हुए. पत्नी स्मृति इंजीनियर हैं. उनके माता-पिता स्कूल के प्रधानाचार्य हैं. आगरा मिलिट्री हॉस्पिटल में प्रशिक्षण के बाद उनकी तैनाती हो गई. वे बीते दिनों कश्मीर के पुंछ सेक्टर में तैनात बटालियन में मेडिकल आफिसर बने. यहां से वे 15 दिन पहले ही सियाचिन रवाना हुए थे. कैप्टन अंशुमान सिंह अपने पीछे मां मंजू सिंह के अलावा भाई घनश्याम सिंह और बहन तान्या सिंह को छोड़ गए. दोनों पेशे से नोएडा में डॉक्टर हैं.
वहीं हिमाचल प्रदेश के शिमला जिले के चौपाल के कुपवी के शहीद कुलभूषण मांटा को मरणोंपरांत शौर्य चक्र से नवाजा गया है. इस दौरान शहीद की मां और पत्नी को राष्ट्रपति द्रोपदी मूर्मू ने शुक्रवार शाम को शौर्य चक्र सौंपा. सम्मान समारोह में जब शहीद कुलभूषण का नाम लिया गया तो मां की आंखों से आंसू थे. वहीं पत्नी के चेहरे पर कोई भाव नजर नहीं आया.
माता पिता के इकलौते बेटे थे
जम्मू एवं कश्मीर के बारामुला में अक्तूबर 2022 में एनकाउंटर हुआ था. इस दौरान हिमाचल प्रदेश के शिमला के कुपवी के गांव गौंठ के निवासी कुलभूषण मांटा आतंकियों से लोहा ले रहे थे. मुठभेड़ में वे घायल हो गए. उन्हें गोली लगी. मगर वह घायल अवस्था में आतंकियों से लड़ते रहे और एक आतंकी को उन्होंने जिंदा पकड़ लिया. मगर इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई. कुलभूषण की उम्र मात्र 25 साल थी. वे अपने माता पिता के इकलौते बेटे थे. वह अपने पीछे मां, बहन, पत्नी और एक बच्चा छोड़ गए हैं.
Source : News Nation Bureau