गैंगस्टर अबू सलेम को सुप्रीम कोर्ट से आज कोई राहत नहीं मिली, उसकी कोशिश थी की प्रत्यर्पण संधि के मुताबिक साल 2027 में उसे रिहा होना चाहिए. आज सुप्रीम कोर्ट ने उसके दावे को खारिज कर दिया, ऐसे में कानून विशेषज्ञ मान रहे हैं की साल 2030 में ही उसकी रिहाई संभव हो सकेगी. याचिका के जरिए सलेम ने दावा किया था कि भारत में उसकी कैद साल 2027 से ज़्यादा नहीं हो सकती, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने आज उसके दावे को खारिज कर दिया. ऐसे में कानून विशेषज्ञ मान रहे हैं की साल 2030 में ही उसकी रिहाई संभव हो सकेगी.
अबू सलेम का कहना था कि पुर्तगाल से हुए उसके प्रत्यर्पण में तय शर्तों के मुताबिक उसकी कैद 25 साल से अधिक नहीं हो सकती, लेकिन मुंबई की टाडा कोर्ट ने उसे दो मामलों में उम्र कैद की सज़ा सुनाई है. सलेम का कहना था कि चूंकि भारत सरकार ने 25 साल से अधिक की सजा न मुकर्रर करने का वायदा साल 2002 में किया था, वो तब से पुर्तगाल पुलिस की हिरासत में आ गया था. लिहाजा उसे रिहा करने के लिए 2002 की तारीख को आधार बनाया जाना चाहिए. इस हिसाब से 25 साल की समय सीमा 2027 में खत्म होती है. सरकार ने इसका विरोध किया था. सरकार ने कहा की सलेम को 2005 में भारत लाया गया था. इसलिए उसकी रिहाई पर फैसला लेने का सवाल 2030 में आएगा.
HIGHLIGHTS
- विशेषज्ञ मान रहे हैं की साल 2030 में ही उसकी रिहाई संभव हो सकेगी
- मुंबई की टाडा कोर्ट ने उसे दो मामलों में उम्र कैद की सज़ा सुनाई है