ओडिशा का प्राचीन जगन्नाथ मंदिर आज सुर्खियों में है. इसकी वजह है उसका रत्न भंडार. 46 साल बाद ये दोबारा खोला गया है. इसके लिए तारीख और समय पहले से ही तय कर दिया गया था. इसके लिए एक बज 28 मिनट का समय तय किया गया था. इस भंडार को खोलने के बाद लोग भौचक्के रह गए. यहां पर 367 गहने मिले, जिनका भार 4,360 तोला था. मंदिर के रत्न भंडार को खोलने के लिए तैयारियां सुबह से शुरू हो गई थीं. इसके कारण रत्न भंडार के आभूषणों को रखने के लिए 6 संदूक पुरी पहुंच गए. ये संदूक सागवान की लकड़ी से तैयार किए गए. इन संदूक के अंदर धातु की परत है. ओडिशा के जगन्नाथ मंदिर के ‘रत्न भंडार’ को दोबारा से खोलने के लिए एक पैनल का गठन किया गया था.
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न्यायाधीश विश्वनाथ रथ को इस पैनल का अध्यक्ष बनाया गया था. उन्होंने रत्न भंडार के खोले जाने की सूचना दी गई. सबसे पहले रत्न भंडार को खोला गया. इसके बाद दोनों ‘भंडारों’ में रखे आभूषणों और कीमती सामानों को गर्भगृह के अंदर तय कमरों में ले जाने की तैयारी है.
वीडियो रिकॉर्डिंग भी की जाएगी
रत्न भंडार को खोलने को लेकर एक बैठक भी बुलाई गई. इसमें रत्न भंडार खोलने को लेकर निर्णय लिया गया. इस बैठक में रत्नभंडार खोलने और आभूषणों की देखभाल आदि का निर्णय लिया गया. गहन गणना और सुझावों के बाद रत्न भंडार को खोलने का सही समय दोपहर 1:28 बजे तक तय किया गया. इस पूरी प्रक्रिया की रिकॉर्डिंग की जाएगी. ये किसी बड़ी चुनौती से कम नहीं है. इसकी वजह है कि पूरे 46 साल से दरवाला खोला ही नहीं गया. ऐसे में कोई नहीं जानता कि अंदर के हालात कैसे हैं.
आम लोग नहीं कर सकेंगे प्रवेश
श्री जगन्नाथ मंदिर प्रशासन (एसजेटीए) के मुख्य प्रशासक अरविंद पधी ने बताया कि समिति के रत्न भंडार में प्रवेश के दौरान मंदिर में अस्थायी प्रवेश प्रतिबंध लागू किए जाएंगे. सिर्फ सिंहद्वार गेट खुला रहेगा, जबकि सभी अन्य गेट बंद रहेंगे. एक पूर्वनिर्धारित सूची के अनुसार सिर्फ अधिकृत व्यक्ति और सेवक ही प्रवेश कर सकेंगे, आम लोग दाखिल नहीं हो सकेंगे. सभी समिति सदस्यों की सुरक्षा जांच की जाएगी, और पूरी प्रक्रिया को वीडियो रिकॉर्ड किया जाएगा.
कौन करेगा निगरानी
इस ऑपरेशन की निगरानी एसजेटीए के मुख्य प्रशासक अरविंद पधी करने वाले हैं. इस टीम में भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई), एएसआई, रत्न भंडार के संबंधित लोग हैं. उनके साथ प्रबंध समेत उच्च स्तरीय समितियों के मेंबर भी शामिल होंगे. इस रत्न भंडार का दोबारा खोला जाना एक ऐतिहासिक कदम माना जा रहा है.
खास है रत्न भंडार
जगन्नाथ मंदिर चार धामों में से एक है. इसका निर्माण 12वीं शताब्दी में हुआ था. इस मंदिर में एक खास रत्न भंडार है. रत्न भंडार को भगवान का खजाना माना जाता है. इस रत्न भंडार में जगन्नाथ मंदिर के तीनों देवाताओं भगवान जगन्नाथ, भाई बालभद्र और बहन सुभद्रा के गहने रखे हैं. ये जेवरात कई राजाओं और भक्तों ने दान में दिया है. इसे कभी—कभी देवताओं को चढ़ाया था. इसे रत्न भंडार में रखा जाता रहा है.
Source : News Nation Bureau