प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को राष्ट्र के नाम संबोधन में वैक्सीनेशन को लेकर दो बड़े ऐलान किए थे. इनमें पहला नेजल वैक्सीन और दूसरा दुनिया का पहला डीएनए टीके का जिक्र किया था. पीएम ने अपने कार्यक्रम के दौरान कहा था कि कोरोना से निजात पाने के लिए जल्द ही देश में नेजल वैक्सीन लॉन्च हो जाएगी. इस बारें में विस्तार से जानेंगे कि क्या है नेजल वैक्सिन और यह किस तरह काम करती है. साथ ही यह भी जानेंगे कि यह अन्य टीकों से कितना अलग है. वहीं डीएनए वैक्सिन के बारे में भी विस्तार से जानेंगे कि यह कैसे काम करती है. प्रधानमंत्री मोदी ने कहा है कि यह डीएनए वैक्सीन दुनिया की पहली वैक्सिन होगी.
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नाक के जरिए लगेगी नेजल वैक्सिन
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कोरोना से निजात पाने के लिए जिस नेजल वैक्सीन लगाने का जिक्र किया है उसे नाक के जरिए लगाई जाएगी. फिलहाल यह वैक्सिन क्लिनिकल ट्रायल में है. इस वैक्सिन को भारत बायोटेक द्वारा विकसित किया जा रहा है. खास बात यह है कि इस वैक्सीन का इस्तेमाल के लिए इंजेक्शन की जरूरत नहीं होती. नाक के दिए जाने वाले यह वैक्सीन एक बार शरीर के अंदर जाने के बाद अंदरूनी हिस्सों में इम्यून सिस्टम तैयार करती है. अधिकांश बीमारियों का संक्रमण नाक के जरिए ही फैलता है, इसलिए नेजल वैक्सीन का इस्तेमाल कर संक्रमण को खत्म किया जा सकता है. यह नेजल वैक्सिन बच्चों को प्राथमिक तौर पर दिए जाने की योजना है.
नाक से दिए जाने वाले टीके ज्यादा प्रभावी
लोवा यूनिवर्सिटी के पीडियाट्रिक पल्मोनोलॉजिस्ट प्रो. पॉल मैक्रे ने हाथ की बजाय नाक से दिए जाने वाले को ज्यादा प्रभावी बताया है. प्रो. मैक्रे का कहना है कि हाथ में लगने वाले टीके की बजाए नाक से टीका दिया जाए तो बच्चे और अधिक आसानी से कोरोना को मात दे सकते हैं. इसके लिए यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिक टीके का परीक्षण की तैयारी कर रहे हैं.
क्या है दुनिया का पहला DNA वैक्सीन
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार रात को डीएनए वैक्सिन का भी उल्लेख किया था. उन्होंने कहा था कि कोरोना वायरस (Corona virus) से लड़ने के लिए जल्द ही देश के पास पहली DNA आधारित वैक्सीन (DNA Vaccine for Covid) होगी. ऐसा होने पर भारत दुनिया में पहला ऐसा देश होगा, जिसके पास महामारी से बचाव के लिए DNA आधारित टीका होगा. जायडस कैडिला कंपनी द्वारा विकसित कोरोना की पहली डीएनए वैक्सीन बाजार में लाने की पूरी तरह तैयारी कर ली गई है. उम्मीद है कि यह वैक्सिन साल 2022 के मार्च तक मिलनी शुरू हो जाएगी. आइए बताते हैं कि क्या है यह डीएनए वैक्सीन और यह किस तरह कारगर है.
ऐसे काम करती है DNA वैक्सीन
भारत में आने वाली कोरोना की यह डीएनए वैक्सिन दुनिया की पहली वैक्सीन होगी. इसके जरिए जेनेटिकली इंजीनियर्ड प्लास्मिड्स को शरीर में इंजेक्ट किया जाता है. इससे शरीर कोविड-19 के स्पाइक प्रोटीन का उत्पादन होता है और इस तरह वायरस से बचाव वाले एंटीबॉडी पैदा होती हैं.
28-28 दिन के अंतराल पर लेने होंगे तीन डोज
इस वैक्सीन के आने के बाद 28-28 दिन के अंतराल पर तीन डोज लेने होंगे. हालांकि यह वैक्सीन 18 साल से कम उम्र के बच्चों को नहीं दिए जाएंगे. साथ ही इस वैक्सीन को लगाने के लिए इंजेक्शन का इस्तेमाल नहीं किया जाएगा. फार्माजेट तरीके से लगाया जाने वाला यह वैक्सीन कोरोना का पहला प्लासमिड डीएनए वैक्सीन है.
HIGHLIGHTS
- पीएम मोदी ने राष्ट्र के नाम संबोधन में इन दोनों वैक्सिन का किया था जिक्र
- दोनों वैक्सिन में नहीं किया जाएगा इंजेक्शन का इस्तेमाल
- कोरोना को मात देने के लिए जल्द ही लोगों के लिए उपलब्ध होंगे दोनों टीके