राज्यसभा में विपक्ष के नेता ग़ुलाम नबी आज़ाद अपने बयान को लेकर एक बार फिर विवादों में आ गए हैं। दरअसल आज़ाद ने उरी आतंकवादी हमले में शहीद जवानों और नोटबंदी की वजह से मरने वाले लोगों की तुलना कर दी, जिसके बाद मामला गर्मा गया।
हालांकि विरोध के बाद सदन की कार्यवाही लिस्ट से इस बयान को हटा दिया गया।
संसदीय कार्य मंत्री अनंत कुमार ने ग़ुलाम नबी आज़ाद के बयान पर निंदा ज़ाहिर करते हुए कहा, 'सांसद का ये बयान घटिया, देश विरोधी और शहीदों का अपमान करने वाला है। उन्हें अपने बयान पर माफ़ी मांगनी चाहिए।'
ग़ुलाम नबी आज़ाद ने गुरुवार को राज्यसभा में अपने एक बयान में उरी हमले में शहीद हुए जवान और नोटबंदी की वजह से मरने वाले लोगों की तुलना कर दी थी। जिसे बाद में सदन की कार्यवाही लिस्ट से हटा दिया गया, इसलिए ख़बर में भी उस बयान का ज़िक्र नहीं किया जा रहा है।
इसी साल सितंबर महीने में उरी आर्मी कैंप पर आतंकवादी हमला हुआ था, जिसमे सेना के 19 जवान शहीद हो गए थे।
इस बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए अनंत कुमार ने कहा कि उनका बयान ये दर्शाता है कि नोटबंदी के फैसले पर लोगों का उत्साह देखते हुए विरोधी खीझ गए हैं और ग़ुस्से में अनाप शनाप बयान दे रहे हैं। उनका ये बयान न केवल सैनिकों का अपमान है बल्कि इस बयान से उन्होंने पाकिस्तान के आतंकवादी गतिविधियों को भी सही ठहराया है।
उनके इस बयान से आम लोगों का मनोबल तो टूटा ही है उन सैनिको को भी आघात पहुचा है जो दिन रात सीमा पर हमारे लिए पहरेदारी कर रहे हैं। उन्हें अपने बयान पर बिना शर्त माफ़ी मांगनी चाहिए।
हम सदन के अंदर नोटबंदी के मुद्दे पर बहस के लिए तैयार हैं, अगर उनके पास कोई सुझाव है तो हमें बतायें। लेकिन वो बात करने से बच रहे हैं और सरकार पर बेबुनियाद इल्ज़ाम लगाकर सदन की कार्यवाही को रोक रहे हैं।
Source : News Nation Bureau