भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने बुधवार को कहा कि दुनियाभर में उठाए जा रहे संरक्षणवादी कदमों से मुद्रा युद्ध (करेंसी वॉर) पैदा होने की संभावना बनी हुई है जिससे भारत के विकास की भावी राह में बाधा उत्पन्न हो सकती है।
मौद्रिक नीति समीक्षा बैठक के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए आरबीआई के गर्वनर उर्जित पटेल ने कहा, 'पिछले कुछ महीनों से हलचल की स्थिति देख चुके हैं और लगता है कि यह स्थिति जारी रह सकती है। मालूम नहीं यह कब तब जारी रहेगी। व्यापार को लेकर उत्पन्न विवाद आयात शुल्क की जंग का रूप ले लिया है और अब मुद्राओं को लेकर युद्ध शुरू होने की संभावना है।'
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उन्होंने कहा, 'ऐसी स्थिति में हमें यह सुनिश्चित करना है कि हम जोखिमों को लेकर सतर्क हैं और समष्टिगत आर्थिक स्थायित्व सुनिश्चित करने के अवसरों को अधिकतम करना हमारे वश में है। हम आगे सात फीसदी से लेकर 7.5 फीसदी विकास दर को बरकरार रख सकते हैं। हम उन कार्यो को अंजाम दे रहे हैं जो हमारे लिए अनुकूल हैं और अगर हम इस पथ पर अग्रसर रहेंगे तो हम यह सुनिश्चित करते हैं कि बुरी तरह प्रभावित करने वाले वैश्विक खतरों का हमारे ऊपर असर नहीं होगा।'
हाल ही में, प्रमुख अर्थव्यस्थाओं की ओर से संरक्षणवादी व्यापार नीतियां अपनाई गईं जिसकी अगुवाई अमेरिका ने की। इन नीतियों से अंतर्राष्ट्रीय व्यापार प्रभावित हुआ, जिसके परिणामस्वरूप व्यापार जंग का सूत्रपात हुआ।
केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग मंत्री सुरेश प्रभु ने 7 जुलाई को कहा कि वैश्विक व्यापार चुनौतीपूर्ण दौर में है और विश्व व्यापार संगठन ( WTO ) का अस्तित्व खतरे में है।
पटेल के अनुसार, कच्चे तेल की ऊंची कीमतें और बढ़ती महंगाई से भारत की विकास दर की राह में अड़चन पैदा हो सकती है। उन्होंने चालू वित्त वर्ष 2018-19 में देश की विकास दर 7.4 फीसदी रहने की उम्मीद जाहिर की।
पटेल की यह टिपण्णी आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की समीक्षा बैठक के बाद आई है, जिसमें एमपीसी ने बुधवार को प्रमुख ब्याज दर को 25 आधार अंक बढ़ाकर 6.5 फीसदी करने के पक्ष में मत दिया।
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Source : IANS