भारत में भी अब जीएम फसलों की खेती हो पाएगी। देश में जीएम फसलों की खेती के लिए जेनेटिक इंजीनियरिंग एप्राइजल समिति ने अपनी मंजूरी दे दी है। हालांकि जीईएसी ने कुछ शर्तों के साथ मोडीफाइड सरसों के व्यवसायिक इस्तेमाल की सिफारिश की है।
जीईएसी के इस सिफारिश के बाद आरएसएस सहित उससे जुड़े कई संगठनों ने इसका विरोध किया है। हालांकि अब पर्यावरण मंत्रालय को इस पर अंतिम फैसला लेना है। जीईएसी ने मंत्रालय को इसके व्यवसायिक इस्तेमाल की सिफारिश करते हुए कई शर्तें भी रखी है।
आरएसएस से लेकर पर्यावरण कार्यकर्ता तक ने इसपर सवाल उठाए हैं। आरएसएस से जुड़े स्वेदेशी जागरण मंच ने कहा कि जीएम सरसों की खेती से कृषि से जुड़े बाकी कामों पर भी बुरा असर पड़ेगा।
वहीं इस फैसले का विरोध कर रहे पर्यावरण के लिए काम करने वालों लोगों का कहना है कि जीएम सरसों पर जीईएसी की मंजूरी दोबारा ये सिद्ध हो गया है कि ये नागरिकों के स्वास्थ्य के लिए हानीकारक और अवैज्ञानिक है।
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क्या है जीएम फसल
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मुताबिक जीएम ऑर्गेनिज्म (पौधे और जानवरों) में डीएनए को बदलता जाता है जो पाकृतिक तरीके से होने वाली प्रजनन प्रक्रिया में संभव नहीं हो पाता है। इसी को जीएम टेक्नोलॉजी के नाम से जाना जाता है। डीएनए में बदलाव करके फसल या जानवरों को और उन्नत बनाया जा सकता है।
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HIGHLIGHTS
- GEAC ने जीएम सरसों की खेती को दी मंजूरी
- आरएसएस और पर्यावरण कार्यकर्ताओं ने किया विरोध
Source : News Nation Bureau