भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT), खड़गपुर के शोधकर्ताओं ने प्राकृतिक वातावरण में सुखाए जा रहे कपड़ों से बिजली पैदा करने का एक अनोखा नजरिया विकसित किया है. शोधकर्ताओं ने निरंतर जारी वाष्पीकरण के बीच लवणयुक्त पानी की निर्देशित गतिविधि के माध्यम से बिजली पैदा करने के लिए सेल्यूलोस आधारित फैब्रिक नेटवर्क में स्थित अत्यंत क्षुद्र चैनलों का इस्तेमाल किया है.
यह भी पढ़ें - जयपुर में 4 करोड़ 77 लाख के नकली नोट की बड़ी खेप के साथ 2 गिरफ्तार
यह प्रक्रिया बहुत हद तक जीवित पौधे में पानी के परिवहन की प्रक्रिया के समान है. मेकेनिकल इंजीनियरिंग विभाग के प्रोफेसर और प्रोजेक्ट के अग्रणी शोधकर्ता सुमन चक्रवर्ती ने इस प्रक्रम को समझाते हुए कहा, "इस मामले में सुव्यवस्थित सेल्यूलोस से बना पहनावे का कपड़ा कैपिटलरी कार्य द्वारा रेशेदार छोटे-छोटे नेटवर्क के जरिए लवणयुक्त पानी की गति के लिए माध्यम का काम करता है. इस प्रक्रिया में विद्युत विभव भी शामिल होता है."
यह भी पढ़ें - Howdy Modi पर राहुल के बाद प्रियंका गांधी ने किया वार, Economy को लेकर कही ये बात
शोधकर्ताओं ने सुदूर गांव में धोबियों के द्वारा सुखाए जा रहे बड़ी तादाद में कपड़ों (करीब 3,000 वर्ग मीटर क्षेत्र में फैले करीब 50 कपड़ों) का इस्तेामल करके पूरी प्रक्रिया का प्रदर्शन किया. शोधकर्ताओं ने करीब 24 घंटे में 10 वोल्ट विद्युत आवेश पैदा किया. इस प्रकार संचित बिजली से एक सफेद एलईडी एक घंटा तक जल सकती है.