गोरखपुर के बाबा राघव दास (बीआरडी) मेडिकल कॉलेज और असपताल में इंसेफेलाइटिस नामक बीमारी ने कई बच्चों की जिंदगियां निगल ली। मासूमों की मौत का सिलसिला थमने की बजाए लगातार बढ़ता जा रहा है। पिछले तीन दिनों में बीआरडी मेडिकल कॉलेज में 34 और बच्चों की मौत हो गई। इनमें से पांच मासूमों की मौत इंसेफेलाइटिस के कारण से हुई हैं।
मानसून के दौरान सबसे ज्यादा फैलने वाली बीमारी को जपानी बुखार और दिमागी बुखार भी कहा जाता है। यह बीमारी चावलों के खेतों में पनपने वाले मादा मच्छर क्यूलेक्स ट्राइटिनीओरिंकस के काटने से होती है।
अंग्रेजी अखबार टाइम्स ऑफ़ इंडिया को मेडिकल कालेज के प्राचार्य डा.पी.के.सिंह ने मौतों के आंकड़ों की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि सबसे ज्यादा (24) मौतें सोमवार को हुई। इनमें से 15 मासूमों की मौत एनआईसीयू में हुई।
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इंसेफेलाइटिस वार्ड में एईएस के पांच सहित नौ मरीजों की मौत हुई। अगस्त 10 और 11 को ऑक्सीजन की कमी के चलते 30 मासूम बच्चों की मौत हो गयी थी। इस मामले ने पूरे देश को हिला कर रख दिया था।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पिछले महीने की 9-10 तारीख को मुख्यमंत्री ने इस अस्पताल का दौरा भी किया था। ऐसे में अस्पताल प्रशासन की इतनी बड़ी लापरवाही सवालों के घेरे में है।
क्या होता है इंसेफेलाइटिस
इंसेफेलाइटिस एक जानलेवा दुर्लभ बीमारी होती है जो दिमाग में 'एक्यूट इंफ्लेमेशन के कारण होती है। मेडिकल न्यूज टूडे के अनुसार, मेडिसीन क्षेत्र में 'एक्यूट' का शब्द का प्रयोग तब किया जाता है जब बीमारी अचानक दिखाई देती है और तीव्र गति से बढ़ती है।
इंसेफेलाइटिस से पीड़ित मरीज को तुंरत इलाज की आवश्यकता होती है। ये मच्छर के काटने से होने वाला वायरल बुखार होता है। इसमें अगर मरीज जीवित बच भी गया तो पैरालासिस का शिकार होने की आशंका बनी रहती है।
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Source : News Nation Bureau