सरकार ने 23 जनवरी को पराक्रम दिवस घोषित किया, सुभाष चंद्र बोस की 125वीं जयंती

केंद्र सरकार ने नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 125 जयंती के अवसर पर 23 जनवरी को पराक्रम दिवस घोषित कर दिया है. जब देश अंग्रेजी हुकूमत का गुलाम था तब नेताजी सुभाष चंद्र बोस आजाद हिंद फौज बनाकर देश की आजादी के लिए बिगुल फूंका था.

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Ravindra Singh
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जी किशन रेड्डी( Photo Credit : एएनआई ट्विटर)

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केंद्र सरकार ने नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 125 जयंती के अवसर पर 23 जनवरी को पराक्रम दिवस घोषित कर दिया है. जब देश अंग्रेजी हुकूमत का गुलाम था तब नेताजी सुभाष चंद्र बोस आजाद हिंद फौज बनाकर देश की आजादी के लिए बिगुल फूंका था. केंद्रीय मंत्री जी किशन रेड्डी ने मीडिया से बातचीत करते हुए बताया कि नेताजी के जन्मदिन को केंद्र सरकार ने पराक्रम दिवस घोषित कर दिया है. अब सरकार ने इस बात का फैसला लिया है कि हर साल 23 जनवरी यानी नेताजी सुभाष चंद्र बोस के जन्मदिन को पराक्रम दिवस के रूप में मनाया जाएगा. आइए आपको बताते हैं नेताजी के जीवन के कुछ खास पहलुओं के बारे में.

देश की आजादी की जंग में शामिल हुए महापुरुषों में नेताजी सुभाष चंद्र बोस का नाम शीर्ष योद्धाओं में आता है. नेताजी सुभाष चंद्र बोस का जन्म 23 जनवरी, 1897 को उड़ीसा (अब ओडिशा) के कटक शहर में हुआ था. उनके पिता का नाम जानकीनाथ बोस और मां का नाम प्रभावती था. जानकीनाथ कटक के मशहूर वकील हुआ करते थे. आपको बता दें कि नेताजी सुभाष चंद्र बोस कुल 14 भाई और बहन थे जिनमें 8 भाई और 6 बहनें थीं. सुभाष चंद्र बोस अपने पिता की नौंवीं संतान थे. नेताजी ने कटक में अपनी प्राथमिक शिक्षा पूरी की इसके बाद वो रेवेनशा कॉलिजियेट स्कूल में दाखिला लेने के लिए चले गए, तेज तर्रार सुभाष को वहां पर आसानी से दाखिला मिल गया. आगे की हॉयर एजूकेशन के लिए वो कलकत्ता (अब कोलकाता) चले गए जहां कलकत्ता यूनिवर्सिटी में उन्होंने दाखिला लिया था.

Source : News Nation Bureau

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