सरकार ने 15वें वित्त आयोग का कार्यकाल एक महीने बढ़ाकर 30 नवंबर कर दिया है. आयोग को रक्षा और आंतरिक सुरक्षा के लिए पर्याप्त, सुरक्षित और वर्ष खत्म होने पर भी निष्प्रभावी नहीं होने वाली धन-आबंटन व्यवस्था का सुझाव देने की जिम्मेदारी सौंपी गयी है.
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एनके सिंह की अध्यक्षता में वित्त आयोग का गठन वित्त आयोग (अतिरिक्त प्रावधान) अधिनियम, 1951 और संविधान के अनुच्छेद 280 (1) के तहत 27 नवंबर, 2017 को राष्ट्रपति ने किया गया था. आयोग को अन्य चीजों के अलावा एक अप्रैल, 2020 से पांच साल के लिए केंद्र द्वारा राज्यों को कोष के बंटवारे का फार्मूला सुझाना है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में मंत्रिमंडल की बुधवार को हुई बैठक में आयोग का कार्यकाल 30 नवंबर 2019 तक बढ़ाने का निर्णय किया गया. साथ ही कामकाज की शर्तों में संशोधन को भी मंजूरी दी गई, जिससे रक्षा और आंतरिक सुरक्षा के लिए कोष की चिंता को दूर किया जा सके. आयोग को रक्षा और आंतरिक सुरक्षा के लिए पर्याप्त, सुरक्षित और निष्प्रभावी नहीं होने वाली धनराशि के आबंटन के उपायों के बारे में सुझाव देने की जिम्मेदारी सौंपी गयी है.
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आधिकारिक विज्ञप्ति के अनुसार, संशोधनों के तहत 15वां वित्त आयोग रक्षा और आंतरिक सुरक्षा के लिए पर्याप्त वित्तीय स्रोतों की व्यवस्था के लिए कोई अलग प्रणाली विकसित करने की जरूरत का पता लगाएगा और साथ ही यह भी देखेगा किस तरह इस प्रणाली को लागू किया जा सकता है.