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नोटबंदी के विरोध में विपक्ष एकजुट, सरकार को संसद और सड़क पर झेलना पड़ रहा विरोध

500 और 1000 रुपये के नोट पर प्रतिबंध लगाने के बाद से ही सरकार को विपक्ष घेर रहा है। जहां सत्ता पक्ष इसको एक ऐतिहासिक कदम बता रहा है वहीं विपक्ष इस फैसले को तुगलकी करार दे रही है।

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pradeep tripathi
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नोटबंदी के विरोध में विपक्ष एकजुट, सरकार को संसद और सड़क पर झेलना पड़ रहा विरोध

नोटबंदी के फैसले को एक महीने हो गए हैं। 500 और 1000 रुपये के नोट पर प्रतिबंध लगाने के बाद से ही सरकार को विपक्ष घेर रहा है। जहां सत्ता पक्ष इसको एक ऐतिहासिक कदम बता रहा है वहीं विपक्ष इस फैसले को तुगलकी करार दे रही है।

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सड़क से लेकर संसद तक सियासी घमासान लगातार जारी है। फिलहाल संसद का सत्र नोटबंदी के मसले पर हंगामे की भेट चढ़ गया है। अभी तक एक भी दिन संसद में काम नहीं हो सका है। जहां विपक्ष इस मसले पर प्रधानमंत्री को घेरने की कोशिश कर रही है वहीं वही सत्ता पक्ष चर्चा करने को तैयार है लेकिन सदन में मत विभाजन के खिलाफ है। जानते हैं नोटबंदी के फैसले के बाद विपक्ष की क्या प्रतिक्रिया रही है।

उत्तर प्रदेश समेत कई राज्यों में चुनाव हैं। ऐसे में सरकार के इस फैसले के खिलाफ राजनीतिक दलों की प्रतिक्रिया काफी तीखी है।

सरकार को इस फैसले पर सबसे कड़ा विरोध बीएसपी सुप्रीमो मायावती झेलना पड़ रहा है। उन्होंने कहा, “मोदी सरकार ने देश में अघोषित आर्थिक इमरजेंसी की स्थिति ला दी है।”

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उन्होंने कहा, “कालेधन का मुद्दा सिर्फ चुनाव जीतने कि लिये लाया गया था। सरकार पिछले ढाई साल में अभी तक क्यों नहीं इस पर काम किया । नोटबंदी का फैसला लोगों का ध्यान हटाने के लिये लिया गया है। ये एक इमरजेंसी जैसी स्थिति है।”

उन्होंने कहा , ‘‘जब देश की शासक पार्टी देशवासियों और आम नागरिकों की पीड़ा नहीं समझ पाए तो ऐसी सरकार के बुरे दिन दूर नहीं हैं. यह जनता में आम चर्चा भी है । ’’

समाजवादी पार्टी की तरफ से भी कड़ी प्रतिक्रिया आई है। पार्टी के प्रमख मुलाय सिंह यादव ने कहा, “ सरकार ने अराजकता की स्थिति बना दी है। इस फैसले के बाद से लोगों को अपनी ज़रूरत की चीज़ें खरीदने में परेशानी होगी। ” उन्होंने कहा, “ राम मनोहर लोहिया के बाद अगर किसी ने काले धन के खिलाफ काम किया है तो वो समाजवादी पार्टी है। ”

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उन्होंने कहा, “काला धन लाने का वादा किया था बीजेपी ने लेकिन अब दबाव के कारण इन्होंने 500 रुपये और 100 रुपये के नोट पर प्रतिबंध लगा दिया है। ”

पूर्व वित्तमंत्री पी चिदंबरम ने सरकार के इस फैसले पर कहा कि “इस फैसले से उत्पादकता में कमी आएगी, लोग लंबीं कतारों में लगे रहेंगे। होलसेल मार्केट पर इसका असर पड़ेगा और ये फैसला किसी भी तरह से कालेधन को रेकने में सफल नहीं होगा।”

कांग्रेस के उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने सरकार के इस फैसले की आलोचना करते हुए कहा कि इससे लोगों की परेशानियां बढ़ेंगी। उन्होंने रुपया निकालने के लिये लाइनों में लगे लोगों का हालचाल भी पूछा।

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कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने 500 एवं 1000 रुपये के नोटों का चलन बंद किए जाने पर कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दिखा दिया कि वह इस देश के आम लोगों का कितना ध्यान रखते हैं । अब किसानों , छोटे दुकानदारों और गृहणियों के लिए अत्यंत अस्त-व्यस्त करने वाली स्थिति पैदा हो गई है ।

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राहुल ने पीएम मोदी से सवाल पूछा कि आखिर 1000 रुपये के नोट को 2000 रुपये के नोट में बदलने से कालेधन की जमाखोरी को बहुत मुश्किल बनाने में किस प्रकार मदद मिलेगी ? असल अपराधी तो सर्राफा, रियल एस्टेट या विदेशों में रुपये छुपाकर रखने वाले लोग हैं।

इसी तरह से पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी पैसे निकालने के लिये लाइन में खड़े लोगों का हाल जानने के लिये गई थीं।

इसके अलावा उन्होंने आम आदमी पार्टी के साथ संयुक्त रैली कर सरकार के फैसले का विरोध भी किया। रैली में उन्होंने कहा, “ सरकार का ये फैसला देश को 100 साल पीछे लेकर जाएगा।ये रोज कोई नया नियम लेकर चले आ रहे हैं। कभी कहेंगे 4500 निकाल सकते हैं कभी कहेंगे कि 2000 ही निकाल सकते हैं। फिर नाखून पर स्याही लगाने की बात करेंगे। ये क्या हो रहा है ? हम लोग इनके नौकर हैं, सारे बेईमान हैं और सिर्फ आप ही ईमानदार हैं क्या ?”

आम आदमी पार्टी ने सरकार के इस फैसले को षड्यंत्र करार दिया और कहा कि ये आज़ाद भारत का एक बहुत बड़ा घोटाला साबित होगा। उन्होंने कहा कि मोदी जी के उद्योगपति मित्रों की मदद के लिये ये फैसला लिया गया है और आम जनता इसमें परेशान हो रही है।

 अरविंद केजरीवाल और ममता बनर्जी ने रिज़र्व बैंक जाकर इस बात की भी जानकारी ली कि कितने नए करंसी नोट छापे गए हैं और कितने की जरूरत है। 

 

आप के संयोजक अरविंद केजरीवाल ने कहा, “हर तरफ अराजकता है। हम भ्रष्ट्चार के खिलाफ लड़ रहे हैंऔर इसके खिलाफ किसी भी तरह के कदम का समर्थन करते हैं। लेकिन हम इस फैसले को समझ नहीं पा रहे कि 1000 को नोट बैन कर 2000 को नोट जारी करने से कैसे कालाधन रुक पाएगा।”

उन्होंने कहा, “बीजेपी पंजाब और यूपी में चुनाव लड़ने जा रही है, उन्होंने पहले ही 100 रुपये को नोट का बंदोबस्त कर लिया है।”

उन्होंने कहा, “सरकार कह रही है कि इससे कालाधन रुकेगा लेकिन इसने दूसरा रूप ले लिया है। कमीशन लेकर करंसी नोट की कालाबाज़ारी शुरू हो गई है। इस तरह से कालेधन पर रोक लगाएगी सरकार।”

जडीयू सरकार के इस फैसले का अब समर्थन कर रही है। हालांकि पार्टी ने संसद मे विरोध किया। पार्टी के अध्यक्ष शरद यादव ने विपक्ष का साथ दिया लेकिन बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने नोटबंदी का स्वागत किया है।

जेडीयू के साथ बिहार की सत्ता में शामिल आरजेडी ने सरकार के फैसले का विरोध किया है, उन्होंने ट्वीट किया , " हम कालेधन के विरुद्ध हैं , पर आपके कृत्य में दूरदर्शिता और क्रियान्वयन का पूर्ण अभाव दिख रहा है । आम आदमी की सहूलियत का ख्याल रखना चाहिए । "

उन्होंने कहा, "मोदी जी, देश को भरोसा दीजिए कि जनता को दो माह पूरी असुविधा देने और कालेधन की उगाही के बाद सबके खाते में 15 लाख रुपये आएंगे।"

उन्होंने साथ ही यह भी कहा, अगर ये सब करने के बाद भी लोगों को 15 लाख रुपये नहीं मिले, तो इसका मतलब होगा कि यह 'फर्जिकल स्ट्राइक' था और इसके साथ ही आम जनता का 'फेक-एनकाउंटर' भी।

सरकार के नोटबंदी के फैसले पर डीएमके ने भी तीखी प्रतिक्रिया दी और कहा सरकार को ढाई साल सत्ता में आए हो गए हैं लेकिन अभी तक सरकार विदेशों में जमा कालाधन ला नहीं पाई है और न ही कोई सूची जारी की है। डीएमके सरकार के इस फैसले का विरोध करती है। इससे लोगों को परेशानी हो रही है। 

सरकार के इस फैसले के विरोध में वामदलों ने भी विरोध दर्ज किया सीपीआईएम ने कहा, “सरकार ने हर काम पूरे प्रचार और पीआर के साथ किया है। आरबीआई गवर्नर और दूसरे अधिकारी भी थे, लेकिन प्रधानमंत्री मोदी ने खुद आकर इसकी घोषणा की जाहिर है कि वो प्रसिद्धि पाना चाहते हैं।”

सीपीएम के महासचिव सीतीराम येचुरी ने कहा कि नोटबंदी का फैसले सरकार ने सिर्फ अपनी असफलताओं को छुपाने के लिये लिया है। 

येचुरी का कहना है कि सरकार के इस फैसले से आर्थिक विकास धीमा पड़ सकता है। 

यहां तक कि केरल के मुख्यमंत्री पी. विजयन ने तिरुअनंनतपुरम में रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के सामने प्रदर्शन भी किया था।

सभी विपक्षी दलों ने इस फैसले के खिलाफ सरकार का विरोध करने की रणनीति तैयार की। इन सबने फैसला लिया कि एकजुट होकर सरकार के इस फैसले का सड़क और संसद में विरोध किया जाए।

विपक्ष ने नियम 56 के तहत राज्यसभा में इस पर चर्चा की मांग की और प्रधानमंत्री से इस मसले पर जवाब भी मांग रहा है। लेकिन सरकार नियम 56 के तहत चर्चा के लिये तैयार नहीं है। सरकार का सहना है कि नियम 193 के तहत चर्चा की जाए और नोटबंदी का फैसला वित्त मंत्रालय से जुड़ा है इसलिये वित्तमंत्री अरुण जेटली ही इम पर जवाब देंगे। प्रधानमंत्री इस मसले पर सदन में हस्तक्षेप कर सकते हैं। लेकिन विपक्ष इसे मानने को तैयार नहीं है।

सरकार के फैसले के खिलाफ सभी विपक्षी दलों ने संसद परिसर में स्थित महात्मा गांधी की मूर्ति के सामने प्रदर्शन भी किया था। अभी भी इस मुद्दे पर गतिरोध बना हुआ है और संसद में हंगामा लगातार जारी है।

32 days of Demonetisation opposition protest
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