सरकार ने गुरुवार को लोकसभा में जन विश्वास (प्रावधानों में संशोधन) विधेयक 2022 पेश किया, जिसका उद्देश्य जीवन को आसान बनाने के लिए विश्वास आधारित शासन को बढ़ावा देने के लिए मामूली अपराधों को अपराध की श्रेणी से बाहर करने और युक्तिसंगत बनाने के लिए कुछ अधिनियमों में संशोधन करना है. वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने भारत-चीन सीमा संघर्ष के मुद्दे पर विपक्ष के विरोध के बीच लोकसभा में यह विधेयक पेश किया. विधेयक को विचार के लिए एक संयुक्त संसदीय पैनल के पास भेजा गया.
पैनल 2023 में बजट सत्र के दूसरे भाग के पहले सप्ताह के अंतिम दिन तक बिल पर अपनी रिपोर्ट पेश करेगा. गोयल ने कहा कि 31 सदस्यीय संयुक्त समिति में 21 सदस्य लोकसभा से होंगे, जबकि शेष 10 राज्यसभा से होंगे.
संयुक्त समिति में जिन लोकसभा सदस्यों को मनोनीत किया गया है, उनमें पी.पी. चौधरी, संजय जायसवाल, उदय प्रताप सिंह, संजय सेठ, महारानी ओजा, खगेन मुर्मू, पूनमबेन हेमतभाई मादाम, पूनम प्रमोद महाजन, अपराजिता सारंगी, अरविंद धर्मपुरी, राजेंद्र अग्रवाल, रतन लाल कटारिया, गौरव गोगोई, डीन कुरियाकोस, डी. राजा, सौगत राय, वेंकट सत्यवती बेसेटी, गजानन चंद्रकांत कीर्तिकर, राजीव रंजन उर्फ ललन सिंह, पिनाकी मिश्रा और गिरीश चंद्र शामिल हैं.
डिस्क्लेमरः यह आईएएनएस न्यूज फीड से सीधे पब्लिश हुई खबर है. इसके साथ न्यूज नेशन टीम ने किसी तरह की कोई एडिटिंग नहीं की है. ऐसे में संबंधित खबर को लेकर कोई भी जिम्मेदारी न्यूज एजेंसी की ही होगी.
Source : IANS