ट्विटर( Twitter) और गूगल( Google) को लेकर एक तीखी बड़ी खबर सामने आई है. फेक न्यूज (Fake News) के मामले में केंद्र सरकार ने ट्वीटर और गूगल को फटकार लगाई है. जानकारों के मुताबिक अधिकारियों ने दोनों टेक कंपनियों से अपने-अपने प्लेटफॉर्म पर फेक न्यूज को लेकर उठाए जा रहे कदमों को लेकर आवाज़ उठाई है. सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के अधिकारियों ने दोनों कंपनियों की कड़ी निंदा करते हुए कहा कि फर्जी खबरों पर कार्रवाई करने के प्रति निष्क्रियता सरकार को चीज़ें हटाने का आदेश देने के लिए मजबूर कर रही थी, जिसके चलते सरकार को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर निंदा झेलनी पड़ रही थी कि अधिकारी लोगो की स्वतंत्रता (Freedom of Speech) को ख़त्म और दबा रहे हैं.
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मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक सोमवार को वर्चुअल तौर पर हुई ये बैठक गरमा गर्म रही जो कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) के प्रशासन और अमेरिकी टेक कंपनियों के बीच संबंधों में पैदा हुई कमियों को गिनवाता है. अधिकारियों ने बैठक में कंपनियों को कोई अल्टीमेटम जारी नहीं किया. सरकार तकनीकी क्षेत्र के नियमों को सख्त कर रही है, लेकिन चाहती है कि कंपनियां कंटेंट मॉडरेशन पर तरीके से ध्यान दें.
55 अकाउंट्स को किया था ब्लॉक
इमरजेंसी नाम के ऑप्शन का इस्तेमाल कर गूगल के यूट्यूब प्लेटफॉर्म और कुछ ट्विटर और फेसबुक खातों पर 55 चैनलों को ब्लॉक करने के आदेश के बाद यह बैठक हुई थी. जानकारों के मुताबिक सरकार ने कहा था कि चैनल “फेक न्यूज” या “भारत विरोधी” सामग्री को बढ़ावा दे रहा है और पाकिस्तान में स्थित अकाउंट्स द्वारा गलत सन्देश फैलाया जा रहा था. सूचना और प्रसारण मंत्रालय ने बैठक को लेकर किसी तरह की जानकारी नहीं दी है. इस बैठक में घरेलू कंटेट शेयरिंग प्लेटफॉर्म शेयरचैट और कू भी शामिल थे, जिनका इस्तेमाल देश दुनिया में लाखों लोग करते हैं.
बैठक पर टिप्पणी किए बिना, अल्फाबेट इंक के गूगल ने एक बयान में कहा कि वह सरकार के अनुरोधों को मानता है और “जहां सही होता है, स्थानीय कानूनों को ध्यान में रखते हुए सामग्री को प्रतिबंधित करना या हटाता है.” कू ने कहा कि यह स्थानीय कानूनों का अनुपालन करता है और इसके पास मजबूत सामग्री मॉडरेशन कस्टम्स हैं.
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Source : News Nation Bureau