केन्द्र ने सुप्रीम कोर्ट को सूचित किया है कि देश भर में विदेशी नागरिकों को नजरबंदी शिविरों में रखने के लिये दिशा निर्देश तैयार किये जा रहे हैं. न्यायमूर्ति मदन बी लोकूर, न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर और न्यायमूर्ति आर सुभाष रेड्डी की पीठ को केन्द्र ने सूचित किया हैकि नजरबंदी पुस्तिका या दिशानिर्देशिका पर बहुत ही गंभीरता से काम किया जा रहा है. सरकार ने यह भी कहा कि इस संबंध में असम के लिये कुछ परिपत्र जारी किये गये हैं.
पीठ ने कहा कि केन्द्र को यह सुनिश्चित करना होगा कि उसके द्वारा जारी परिपत्रों या दिशानिर्देशों का असम द्वारा पालन किया जाये. असम में नजरबंदी शिविरों की स्थिति से संबंधित मामले की सुनवाई के दौरान विदेशी नागरिकों को रखने के बारे में दिशा निर्देश बनाने का मुद्दा उठा था.
असम की ओर से सालिसीटर जनरल तुषार मेहता ने पीठ से कहा कि राज्य सरकार केन्द्र के परिपत्रों को पूरी ईमानदारी से लागू करने के लिये सभी कदम उठायेगी.
मेहता ने कहा कि गोलपाड़ा में नये नजरबंदी शिविर की स्थापना के लिये राज्य सरकार ने निविदायें आमंत्रित की हैं और पहले से निर्मित प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल करके अगले साल 31 अगस्त तक इस काम को पूरा कर लेने की उम्मीद है.
राज्य सरकार ने यह भी कहा कि 47 घोषित विदेशी नागरिकों या उनके परिवार के सदस्यों, जिन्हें फिर से मिलाने के लिये स्थानांतरित करने का प्रस्ताव है, और स्थानांतरण की प्रक्रिया में करीब 15 दिन लगेंगे.
पीठ ने दो नवंबर को अपने आदेश में कहा कि उसका मत है कि बगैर किसी वैध कारण के परिवारों को, विशेषकर उस स्थिति में जब इनमे से अनेक को पहले ही लंबे समय से अलग रखा जा चुका है, अलग रखना अनुचित होगा.
पीठ ने कहा कि इसलिय असम सरकार को इस प्रक्रिया को तेज करके सात दिन और अधिकतम दस दिन के भीतर पूरा करना चाहिए क्योंकि पहले ही काफी समय बीत गया है.
पीठ इस मामले में अब अगले साल फरवरी में आगे विचार करेगी.
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केन्द्र ने सितंबर में न्यायालय को सूचित किया था कि वह नजरबंदी शिविरों में विदेशी नागरिकों को रखने के लिये दिशा निर्देश बनाने की प्रक्रिया में है और इस काम में करीब तीन महीने का वक्त् लगेगा.
Source : News Nation Bureau