भारतीय सेना में अल्पकालीन भर्ती योजना अग्निपथ के तहत भर्ती होने वाले अग्निवीरों को रक्षा मंत्रालय अलग से एक प्रोत्साहन राशि देने पर विचार कर रही है. ये प्रोत्साहन राशि 6 महीने की ट्रेनिंग के दौरान विकलांगता आने और उसकी वजह से सेना में सेवा देने लायक न रहने पर देने पर विचार किया जा रहा है. बताया जाता है कि इसको लेकर पिछले 10 दिन में दो बैठकें हो चुकी हैं. अग्निपथ योजना से जुड़े एक वरिष्ठ सरकारी अफसर ने मीडिया से बताया कि छह महीने की ट्रेनिंग के दौरान अगर कोई अग्निवीर विकलांग हो जाता है. इसकी वजह से अगर वह सेना में भर्ती के लिए मेडिकली फिट नहीं रहता है तो उस स्थिति में ऐसे अग्निवीरों को एक प्रोत्साहन राशि दी जा सकती है.
सेना भर्ती नहीं होने पर भी मिलेगा इंसेंटिव
सूत्रों के अनुसार उन मुद्दे पर सहमति बनाने के लिए पिछले 10 दिनों के अंदर कई बैठकें हो चुकी हैं. बताया जाता है कि रक्षा मंत्रालय नए रंगरूटों को अतिरिक्त प्रोत्साहन देने की संभावना तलाश रहा है. गौरतलब है कि जब सरकार ने इस योजना की शुरुआत का ऐलान किया था तो देशभर में युवाओं ने जमकर हिंसक प्रदर्शन करने के साथ ही इस योजना को वापस लेने की मांग की थी. यहीं वजह है कि सरकार इसे अधिक से अधिक युवा हितैषी बनाने में जुटी हुई है.
पिछले महीने शुरू की गई अग्निपथ योजना के तहत भर्ती होने वाले अग्निवीरों का सेवाकाल 4 वर्ष का रखा गया है. इस चार साल में 6 महीने की प्रशिक्षण अवधि भी शामिल है. अग्निपथ योजना के तहत भर्ती होने वाले अग्निवीरों को चार वर्ष की सेवा अवधि विकलांग होने की वजह से मेडिकली रूप से बोर्ड आउट होता है तो उसे बाकी महीनों की सर्विस का पूरा वेतन और अग्निवीर सेवा निधि के तहत 11.75 लाख रुपए दिए जाएंगे. अगर मंत्रालय में चल रही चर्चा सफल रही है तो पहले 6 महीने के दौरान यानी ट्रेनिंग की अवधि में विकलांग होने पर उन्हें अतिरिक्त सहायता राशि दी जाएगी. दरअसल, रक्षा सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक रक्षा मंत्रालय के वरिष्ठ अफसरों और सैन्य अधिकारियों की हालिया बैठकों में इस बात पर चर्चा में ये बात सामने आई कि मौजूदा लाभ ऐसे अग्निवीरों के लिए पर्याप्त नहीं हैं, जो विकलांगता की वजह से सेना की सेवा देने के लायक नहीं रह पाएंगे. लिहाजा, इस पहलू को देखते हुए ट्रेनिंग के दौरान अपंग होने वाले अग्निवीर के लिए अलग से इंसेंटिव देने पर विचार किया जा रहा है. बताया जाता है कि ये इन्सेंटिव पैसों के रूप में या फिर निश्चित रोजगार जैसे अन्य तरीकों से दिया जा सकता है.
सेना के जवानों के इस तरह दी जाती है सहायता
भारतीय सेना की वर्तमान में रक्षा सेवाओं में अग्निवीर को छोड़कर बाकी के सभी रैंकों के लिए प्रशिक्षण अवधि को भी समग्र सेवा कार्यकाल का हिस्सा माना जाता है. लिहाजा, सैन्य प्रशिक्षण या सेवा की अवधि में अगर किसी सैनिक को कोई विकलांगता होती है या पहले की विकलांगता बढ़ जाती है और वह भारतीय सेना में सेवा देने के योग्य नहीं रह पाता है तो उसे पर्याप्त मुआवजा दिया जाता है. ये अपंगता पेंशन के रूप में होती है, जो नियमित पेंशन के अलावा दी जाती है. गौरतलब है कि अपंगता पेंशन विकलांगता के प्रतिशत के आधार पर दी जाती है. अपंगता पेंशन आखिरी सैलरी का अधिकतम 30 फीसदी हो सकती है.
Source : News Nation Bureau