मध्य प्रदेश में सियासी ड्रामा तेजी से बदल रहा है. पहले माना जा रहा था कि 16 अप्रैल से शुरू हो रहे बजट सत्र में फ्लोर टेस्ट किया जाएगा लेकिन पहले दिन की कार्यसूची में फ्लोर टेस्ट का जिक्र न होने से यह साफ हो गया है कि सोमवार को फ्लोर टेस्ट होना मुश्किल है. राज्यपाल लालजी टंडन ने बजट सत्र के पहले ही दिन बहुमत परीक्षण का निर्देश दिया है.
मध्य प्रदेश के मौजूदा हालात में राज्यपाल की चलेगी या स्पीकर फैसला करेंगे, इसे लेकर संविधान और कानून के जानकारों की राय अलग-अलग है. संविधान के जानकारों का कहना है कि संविधान के अनुच्छेद 175 (2) के तहत राज्यपाल संदेश भेज सकते हैं. सदन को इस पर आदर के साथ विचार करना चाहिए. वहीं दूसरी तरह कुछ जानकारों का कहना है कि सदन की कार्यवाही में स्पीकर का फैसला ही अंतिम है. हालांकि, एक वरिष्ठ अधिवक्ता ने कहा कि राज्यपाल ने अपने पत्र में साफ कर दिया है कि सरकार अल्पमत में है. इस स्थिति में बहुमत परीक्षण ही एकमात्र उपाय है.
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स्पीकर आज ही लेंगे फैसला
मध्य प्रदेश विधानसभा के स्पीकर एनपी प्रजापति ने रविवार को कहा कि वह फ्लोर टेस्ट को लेकर सोमवार को ही फैसला लेंगे. अभी इस बारे में कुछ तय नहीं किया है कि फ्लोर टेस्ट कब कराया जाए.
राज्यपाल ने दिया था निर्देश
राज्यपाल लालजी टंडन ने शनिवार रात मुख्यमंत्री कमलनाथ को एक पत्र लिखकर अभिभाषण के तुरंत बाद विश्वासमत पर मत विभाजन करने को कहा है. उन्होंने अपने पत्र में लिखा कि प्रदेश में अस्पमत की सरकार है. ऐसे में 16 मार्च को हर हाल में फ्लोर टेस्ट कराकर सरकार बहुमत साबित करे.
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ये हैं संभावनाएं?
प्रदेश के मौजूदा हालात को देखते हुए माना जा रहा है कि राज्यपाल के अभिभाषण और कृतज्ञता ज्ञापन पर चर्चा के बाद सदन की कार्यवाही स्थगित कर दी जाए. इस बात की संभावना भी दिखाई दे रही है कि स्पीकर कुछ बीजेपी विधायकों को निलंबित कर फ्लोर टेस्ट करा सकते हैं. यह भी हो सकता है कि कांग्रेस विधायक हंगामा कर विधानसभा स्थगित करा सकते हैं. हालांकि फ्लोर टेस्ट न कराए जाने पर बीजेपी ने सुप्रीम कोर्ट जाने की भी तैयारी कर ली है.
विधानसभा का ये है गणित
कांग्रेस के 22 में से 6 विधायकों का इस्तीफा स्पीकर ने स्वीकार कर लिया है. कुल 230 सदस्यीय विधानसभा में दो विधायकों के देहांत के बाद स्थान रिक्त हैं. अब कांग्रेस के 108, बीजेपी के 107, बीएसपी के दो, एसपी का एक और निर्दलीय चार विधायक बचे हैं. मौजूद समय में विधानसभा में विधायकों की कुल संख्या 222 रह गई है. बहुमत के लिए 112 विधायकों की जरूरत होगी. हालांकि बीएसपी, एसपी और एक निर्दलीय के समर्थन के बाद कांग्रेस बहुमत साबित कर सकती है. 16 अन्य विधायकों के इस्तीफे स्वीकार किए गए तो कांग्रेस की गिरना तय माना जाएगा.
Source : News Nation Bureau