मोदी सरकार ने सोमवार को ऐतिहासक फैसला लेते हुए जम्मू-कश्मीर से धारा 370 के एक खंड को छोड़कर उसे खत्म कर दिया. जम्मू-कश्मीर पर मोदी सरकार के फैसले के बाद वहां किसी भी तरह की अशांति ना फैले इसे लेकर पुख्ता व्यवस्था की गई है. जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने राज्यभवन में सुरक्षा व्यवस्था और कानून व्यवस्था को लेकर बैठक की. इस बैठक में राज्यपाल के सलाहकार और मुख्य सचिव ने भाग लिया.
लेफ्टिनेंट जनरल रणबीर सिंह, आर्मी कमांडर नॉर्डन कमांड और लेफ्टिनेंट जनरल केजेएस ढिल्लों, जीओसी 15 कोर आज राज्यपाल सत्यपाल मलिक से मुलाकात की. इन्होंने राज्यपाल को राज्य में सुरक्षा के बारे में जानकारी दी.
इसके साथ ही मुख्य सचिव बीवीआर सुब्रह्मण्यम ने राज्यपाल सत्यपाल मलिक को बताया कि घाटी में आवश्यक वस्तुओं की कोई कमी नहीं है. 3 महीने से अधिक के लिए पर्याप्त स्टॉकिंग है.
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मोदी सरकार ने सोमवार को कहा कि अनुच्छेद 370 को हटाना जरूरी था, क्योंकि इससे जम्मू और कश्मीर में आतंकवाद और भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिलता था. सरकार ने कश्मीर के राजनीतिक दलों की निंदा की, जिसमें पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती शामिल हैं, जो लगातार संविधान के अनुच्छेद 370 को हटाने का विरोध कर रहे थे.
सरकार ने अनुच्छेद 370 के निरस्तीकरण और 35ए के प्रावधान को हटाने की व्याख्या करते हुए एक विस्तृत पुस्तिका में कहा कि सूचना का अधिकार और नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) जैसे भ्रष्टाचार-रोधी प्रावधान इस अनुच्छेद के कारण जम्मू और कश्मीर में लागू नहीं होते थे.
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सरकार ने कहा कि अनुच्छेद 370 को हटाने के बाद राज्य में समृद्धि आएगी, सामाजिक एकीकरण से आतंकवाद का खतरा कम होगा, कश्मीर शीर्ष पर्यटन गंतव्यों में एक होगा तथा यह क्षेत्रीय विवादों पर पाकिस्तान से निपटने की अच्छी कूटनीति भी साबित होगी.
(इनपुट IANS)