केंद्र सरकार द्वारा मिले आश्वासन के बाद 'किसान क्रांति यात्रा' भले ही ख़त्म हो गई हो लेकिन सरकार के लिए अब चुनौती यह है कि जिन 7 मुद्दों पर सहमति बन गई है उसे कैसे और कब तक लागू करेंगे. कृषि राज्यमंत्री जीएस शेखावत ने बुधवार को सराकर के रुख़ को स्पष्ट करते हुए कहा है कि केंद्र सरकार इस मामले को लेकर राज्य सरकार से भी बात करेगी.
कृषि राज्यमंत्री ने कहा, 'एनजीटी (राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण) के आदेशानुसार 10 साल पुरानी गाड़ियों की दिल्ली और एनसीआर (राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र) में एंट्री प्रतिबंधित है. किसानों की मांग है कि उनका ट्रैक्टर कृषि से जुड़ा औज़ार है इसलिए गाड़ियों की सूची से बाहर रखी जाए. सरकार इसपर पहमत हो गई है औऱ इस दिशा में बाकी क्षेत्रों (उत्तरप्रदेश, दिल्ली, हरियाणा) के सरकार से बात करेगी.'
NGT's order is that diesel vehicles more than 10 yrs old can't enter Delhi NCR. Farmers' demanded that their tractors are equipment of agriculture & should be kept out of vehicles' list. Govt agreed.Centre will make efforts with govts(UP,Delhi,Haryana) of the region: GS Shekhawat pic.twitter.com/NbSb6T04mt
— ANI (@ANI) October 3, 2018
केंद्र सरकार ने बुधवार तड़के राजधानी दिल्ली में किसानों को प्रवेश की अनुमति दे दी जिसके साथ ही किसानों ने अपना आंदोलन खत्म कर दिया.
प्रदर्शनकारी किसानों व पुलिस बल के बीच लंबे समय तक चले गतिरोध के बाद केंद्र सरकार ने बुधवार तड़के उन्हें दिल्ली में प्रवेश की अनुमति दे दी. हजारों किसानों ने किसान घाट पहुंचने के बाद अपनी किसान क्रांति यात्रा की समाप्ति की घोषणा की.
भारतीय किसान संघ (बीकेयू) के प्रमुख नरेश टिकैत के नेतृत्व में 400 ट्रैक्टरों में सवार हजारों किसान किसान घाट पहुंचे. टिकैत ने इसे किसानों की जीत बताया और कहा कि भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के इरादे नाकाम हो गए हैं.
किसान घाट पर तिकैत ने बताया, 'किसान सभी कठिनाइयों के बावजूद डटे रहे. हम 12 दिनों से मार्च कर रहे थे. किसान थके हुए भी हैं. हम अपने अधिकारों की मांग जारी रखेंगे लेकिन फिलहाल के लिए हम मार्च को समाप्त कर रहे हैं.'
बीजेपी विरोधी नारों के बीच किसान आधी रात करीब दो बजे किसान घाट पहुंचे. किसानों ने कहा कि वे केंद्र सरकार के साथ एक समझौते पर पहुंच गए हैं और उनके अनुसार उनकी सभी मांगे स्वीकार कर ली गई हैं.
उन्होंने बताया कि फसलों का मूल्य बढ़ाने की उनकी मुख्य मांग भी सरकार ने मान ली है.
भारतीय किसान संघ के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा, 'इस मामले में आधिकारिक घोषणा सरकार द्वारा छह दिनों के अंदर कर दी जाएगी.'
सरकार ने मंगलवार को उत्तर प्रदेश-दिल्ली सीमा पर पुलिस बल के साथ संघर्ष के दौरान क्षतिग्रस्त हुए ट्रैक्टरों की मरम्मत की लागत भी किसानों को देने का आश्वासन दिया है.
किसानों ने भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाली सरकार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ नारे लगाए.
उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह की भी प्रशंसा की जिन्हें व्यापक रूप से देश के किसानों के नायक के रूप में जाना जाता है और किसानों के एकजुट आने की सराहना की.
प्रदर्शनकारी किसानों के शीर्ष नेतृत्व ने बाद में भीड़ को संबोधित करते हुए कहा कि उन्हें भविष्य के संघर्षो में भी एकजुट होना होगा. बुधवार सुबह करीब 5.30 बजे किसानों ने किसान घाट से लौटना शुरू कर दिया.
किसान 15 मांगों के चार्टर के साथ आए थे जिसमें ऋण माफी और फसलों के लिए उचित कीमतें शामिल हैं, जिन्हें वे बिना देरी के लागू करवाना चाहते हैं.
प्रदर्शन कर रहे किसानों ने अपना मार्च 10 दिन पहले बीकेयू के नेतृत्व में हरिद्वार से शुरू किया था और मंगलवार को वे उत्तर प्रदेश-दिल्ली सीमा पर पहुंचे थे, जहां उन्हें रोकने के लिए भारी संख्या में पुलिस बल की तैनाती की गई थी.
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मंगलवार को जब हजारों किसानों ने दिल्ली में प्रवेश की कोशिश की तो पुलिस ने उन्हें उत्तर प्रदेश-दिल्ली सीमा पर ही रोक दिया और उनकी पुलिस से झड़प हो गई, जिसमें कई किसान घायल हो गए.
Source : News Nation Bureau