ट्रिपल तलाक को ख़त्म करने के लिए सरकार कानून लाने पर विचार कर रही है। इस पर तैयार मसौदा केंद्र सरकार ने राज्य सरकारों के पास उनकी राय जानने के लिए भेजा है।
वहीं, सुप्रीम कोर्ट में मुख्य याचिकाकर्ता फराह फैज़ ने अपनी सामने रखी है।
तीन तलाक के मुद्दे पर कानून के मसौदे के बारे में बात करते हुए उन्होंने सरकार की पहल का स्वागत किया है। लेकिन साथ ही कहा मुस्लिम महिलाओं की स्थिति को देखते हुए इस कानून का मसौदा अधूरा है।
याचिकाकर्ता का कहना है कि इसमें बहु-विवाह और निकाह हलाला को भी खत्म करने का प्रावधान होना चाहिए।
साथ ही पत्नी के लिए गुजारा भत्ता की भी व्यवस्था होनी चाहिए, क्योंकि तीन तलाक की स्थिति में पति अगर दूसरी शादी कर भी लेता है, तो पत्नी के पास कोई दूसरा विकल्प नही बचता और वो गुजारा भत्ता भी नहीं ले पाती।
ट्रिपल तलाक: भारतीय मुस्लिम महिला आंदोलन ने कहा, नया कानून से कम कुछ भी मंजूर नहीं
याचिकाकर्ता ने उम्मीद जताई है कि सरकार इन पहलुओं को भी शामिल करेगी। उन्होंने कहा कि ड्राफ्ट कानून के मुताबिक तीन तलाक देने की स्थिति में तीन साल की सजा कम है, इसमें कम से कम 7 साल की सजा होनी चाहिए।
उन्होंने कहा कि कानून बनाने से पहले मुस्लिम मौलानाओं की रायशुमारी की मांग बेतुकी है,क्योंकि यहाँ शरीयत की व्याख्या नहीं करनी है, कानून बनना है, वो सिर्फ इसलिए परेशान है क्योंकि अब आगे वो मुस्लिम समाज को ऐसे नहीं बरगला पाएंगे, जैसे अब तक करते रहे है।
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Source : News Nation Bureau