चुनाव के दौरान ईवीएम में वोटिंग की पर्ची के लिए इस्तेमाल होने वाले VVPAT (वोटर वेरीफाइड पेपर ऑडिट ट्रेल) मशीन की निजी कंपनियों से खरददारी के केंद्र सरकार के सुझाव को चुनाव आयोग ने ठुकरा दिया है। इस बात का खुलासा सूचना के अधिकार (आरटीआई) के तहत हुआ है।
अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस की तरफ से दायर आरटीआई से खुलासा हुआ है कि VVPAT की खरीदारी निजी कंपनियों से करने के के लिए कानून मंत्रालय ने जुलाई से सितंबर के बीच चुनाव आयोग को तीन चिट्ठियां लिखी थी।
कानून मंत्रालय को 19 सितंबर को दिए अपने जवाब में चुनाव आयोग ने कहा था, 'हमारी राय है कि वीवीपीएटी मशीन ईवीएम का अभिन्न अंग होता है जो बेहद संवेदनशील है। ऐसे में इस मशीन को बनाने का काम किसी निजी कंपनी को नहीं दिया जा सकता।' उस वक्त नसीम जैदी देश के मुख्य चुनाव आयुक्त थे।
चुनाव आयोग ने इसके पीछे दलील दी कि अगर निजी कंपनियों से वीवीपीएटी मशीन ली गई तो उसके साथ छेड़छाड़ किया जा सकता है। इसके साथ ही चुनाव आयोग ने कहा कि इससे देश की आम जनता में चुनाव आयोग के प्रति विश्वास को भी गहरा धक्का पहुंचेगा।
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भारत में जब से चुनाव के लिए ईवीएम और वीवीपीएटी मशीनों का इस्तेमाल हो रहा है, इसे सिर्फ दो सरकारी कंपनियां भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (BEL) बेंगलूरु और इलेक्टॉनिक्स कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (ECIL) हैदराबाद ही बनाती है।
वीवीपीएटी मशीन से ईवीएम के जरिए वोट देने के बाद एक पर्ची निकलती है जिसके जरिए वोटर ने जिस उम्मीदवार को वोट दिया उसकी जानकारी मिलती है। हालांकि यह पर्ची वोटर अपने साथ लेकर नहीं जा सकता और यह मशीन में ही रह जाती है।
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Source : News Nation Bureau