देशभर के 55.9 फीसदी लोगों का मानना है कि नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) और राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) केवल अवैध प्रवासियों के खिलाफ है. वहीं 31.9 फीसदी लोगों को लगता है कि ये भारतीय मुस्लिमों के खिलाफ है. यह बात आईएएनएस-सीवोटर के सर्वेक्षण में सामने आई है. सर्वेक्षण में कुल 3.8 फीसदी लोगों ने कहा कि ये उपाय अवैध प्रवासियों और भारतीय मुसलमानों के खिलाफ है, जबकि 8.4 फीसदी लोग इस मुद्दे पर भ्रमित दिखाई दिए.
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मुस्लिम समुदाय इसे अपने विरोध में मानता है
यह सर्वेक्षण 17 से 19 दिसंबर के बीच देशभर में तीन हजार से अधिक लोगों के बीच किया गया. इस अवधि के दौरान असम, पूर्वोत्तर के राज्य और अधिकतर मुस्लिम समुदाय के लोगों से बात की गई. मुस्लिम समुदाय के बीच 64.7 फीसदी लोगों ने कहा कि ये उपाय भारतीय मुसलमानों के खिलाफ हैं, जबकि 20.8 फीसदी लोगों ने माना कि यह कानून केवल अवैध प्रवासियों के खिलाफ है.
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पूर्वोत्तर में धारणा बिल्कुल स्पष्ट
इसके अलावा पूर्वोत्तर क्षेत्र के कुल 65.5 फीसदी लोगों का मानना है कि सीएए और एनआरसी अवैध प्रवासियों के खिलाफ है, जबकि 27.3 फीसदी लोगों को लगता है कि ये कानून भारतीय मुसलमानों के खिलाफ है. असम में 53.6 फीसदी लोग मानते हैं कि ये कानून अवैध प्रवासियों के खिलाफ बने हैं और 24.6 फीसदी को लगता है कि सीएए और एनआरसी भारतीय मुसलमानों के खिलाफ है. इस दौरान 14.8 फीसदी लोग ऐसे रहे, जिन्हें यह मुद्दा ही समझ नहीं आया.
HIGHLIGHTS
- 31.9 फीसदी लोगों को लगता है कि ये भारतीय मुस्लिमों के खिलाफ है.
- 8.4 फीसदी लोग इस मुद्दे पर भ्रमित दिखाई दिए.
- 14.8 फीसदी लोग ऐसे रहे, जिन्हें यह मुद्दा ही समझ नहीं आया.
Source : IANS