साल 2018 बीतने में और नए साल आने में अब कुछ ही घंटे बाकी है. ऐसे में कल से यानि की 1 जनवरी 2019 से सिर्फ आपका कलैंडर ही नहीं बल्कि आपकी जिंदगी से जुड़ी कई अहम चीजें बदल जाएगी. हम आपको ऐसी ही कई चीजों के बारें में बताने जा रहे है जो नए साल में किसी काम का नहीं रह जाएगा और जो रहेगा उसमें कई सारे बदलाव हो चुके होंगे.
1. जीएसटी से जुड़ें डिस्काउंट का नहीं मिलेगा लाभ
1 जनवरी 2019 से आप प्री-जीएसटी वाले सामानों पर मिलने वाले डिस्काउंट का फायदा नहीं उठा पाएंगे. दरअसल जीएसटी लागू होने से पहले वाले सामानों को बेचने की आखिरी तारीख 31 दिसंबर है इसलिए जिन दुकानदारों के पास पुराने स्टॉक हैं, वो उन्हें बेचने के लिए ज्यादा डिस्काउंट ऑफर कर रहे हैं.
2. एसबीआई के ऑफर का नहीं उठा पाएंगे फायदा
भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) ने होम लोन लेने वाले ग्राहकों को रिवायत देते हुए प्रोसेसिंग फीस में छूट दी थी. जिसकी अंतिम तारिख 31 दिसंबर थी. इसके तहत 31 दिसंबर तक होम लोन के लिए अप्लाई करने वालों को बिना प्रोसेसिंग फीस के होम लोन दिया है. जिससे होम लोन लेने वाले लोग के हजारों रुपये की प्रोसेसिंग फीस बच गई.
3. ATM कार्ड हो जाएगा बंद
रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की गाइडलाइन के मुताबिक 31 दिसंबर के बाद मैग्नेटिक स्ट्राइप वाला कार्ड काम करना बंद हो जाएगा. मतलब जिन एटीएम कार्ड में चिप नहीं है वह मैग्नेटिक स्ट्राइप हैं. आरबीआई के मुताबिक मैग्नेटिक स्ट्राइप वाले कार्ड सुरक्षित नहीं है. आप अपना कार्ड 31 दिसंबर के बाद भी बदल सकते है.
4. आईटीआर फाइलिंग पर लगेगा जुर्माना
अगर आपने वित्त वर्ष 2017-18 के लिए लेट फीस के साथ इनकम टैक्स रिटर्न (आईटीआर) फाइल नहीं किया है तो आपको दोगुनी कीमत चुकानी पड़ सकती है. दरअसल, 31 अगस्त तक इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करना था लेकिन कई लोग चूक गए थे. ऐसे लोगों को 31 दिसंबर यानी आज रात 12 बजे तक 5, 000 रुपये के जुर्माने के साथ रिटर्न फाइल करने का समय दिया गया है. अगर अब भी आप चूक गए तो आपको जुर्माने की नई राशि 10 हजार रुपये देनी पड़ सकती है.
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5. नॉन-CTS चेकबुक हो जाएगा बेकार
1 जनवरी, 2019 से नॉन-CTS चेकबुक बेकार हो जाएंगी. क्योंकि CTS के तहत चेक की एक इलेक्ट्रॉनिक इमेज कैप्चर हो जाती है और फिजिकल चेक को एक बैंक से दूसरे बैंक में क्लियरेंस के लिए भेजने की जरूरत नहीं पड़ती है. जबकि नॉन-CTS चेक की बात करें तो कंप्यूटर द्वारा रीड नहीं किए जा सकते हैं. यही वजह है कि उन्हें फिजिकली ही एक जगह से दूसरी जगह क्लियरेंस के लिए भेजना होता है और क्लियरेंस में भी काफी समय लगता है. आरबीआई ने करीब तीन महीने पहले इस संबंध में बैंकों को निर्देश दिया था.
Source : News Nation Bureau