पाटीदार आरक्षण आंदोलन के दौरान विसनगर के विधायक ऋषिकेश पटेल की ऑफिस पर हिंसा और तोड़फोड़ मामले में स्थानीय कोर्ट ने पाटीदार नेता हार्दिक पटेल को दोषी करार दिया है। अदालत ने पटेल को दो साल की सज़ा सुनाई है।
अदालत ने हार्दिक के अलावा बाकि दो दोषियों लालजी पटेल और ए के पटेल को भी दोषी मानते हुए 2 साल की सज़ा सुनाई है। अदालत ने इस मामले में 14 आरोपियों को बरी कर दिया है।
सजा मिलने पर हार्दिक पटेल ने कहा कि बीजेपी की हिटलरशाही सत्ता मेरी आवाज को दबा नहीं सकती है।
हार्दिक पटेल ने ट्वीट किया, 'सामाजिक न्याय और सामाजिक अधिकार के लिए लड़ना अगर गुनाह हैं तो हां मैं गुनहगार हूं। सत्य और अधिकार की लड़ाई लड़ने वाला अगर बागी है तो हां मैं बागी हूं। सलाखों के पीछे सत्य, किसान, युवा और गरीबों के लिए लड़ने वाली मेरी आवाज को भाजपा की हिटरलशाही सत्ता नहीं दबा सकती।'
उन्होंने कहा, 'मेरी फितरत में है जालिमों से मुकाबला करना और हक के लिए लड़ना। जितना दबाओगे उतना ही चुनौती बन के उभरुंगा। मौत और कफन बांध कर चल रहा हूं। सलाखों से नहीं डरता, बात अगर मेरी होती तो बैठ जाता घर में, लेकिन बात करोड़ों गरीब लोगों की हैं।'
बता दें कि 13 जुलाई 2015 को पाटीदार आरक्षण आन्दोल के दौरान विसनगर दंगा और आगजनी हुई थी। इसी दौरान बीजेपी विधायक ऋषिकेश पटेल के कार्यालय में भी तोड़-फोड़ हुई।
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क्या है मामला
सरकारी नौकरियों और शिक्षण संस्थानों में पाटीदार युवाओं के लिए आरक्षण की मांग के लिए एक रैली निकाली गई थी जो विसनगर में हिंसक हो गई, जिसके बाद कार्यालय में तोड़फोड़ हुई थी।
करीब तीन से पांच हजार लोगों की भीड़ ने बीजेपी विधायक ऋषिकेश पटेल के दफ्तर में तोड़फोड़ की थी।
हार्दिक पटेल सहित सभी 17 लोगों के खिलाफ आगजनी, दंगा करने और आपराधिक साजिश के तहत आरोप लगाए गए थे।
पटेल को गिरफ्तार किया गया था लेकिन बाद में जमानत पर रिहा कर दिया गया। अदालत ने उसके बाद से उन्हें मेहसाना जिले में प्रवेश पर प्रतिबंध लगा दिया था।
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Source : News Nation Bureau