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जम्मू-कश्मीर में मोदी सरकार ने क्या इसीलिए राष्ट्रपति शासन बढ़ाया था..., हरीश साल्वे ने बताया

हरीश साल्वे ने बताया कि अनुच्छेद 370 अस्थायी प्रावधान है. 1954 में 35 ए को राष्ट्रपति के आदेश पर जोड़ा गया था.

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nitu pandey
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जम्मू-कश्मीर में मोदी सरकार ने क्या इसीलिए  राष्ट्रपति शासन बढ़ाया था..., हरीश साल्वे ने बताया

हरीश साल्वे (फाइल फोटो)

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पाकिस्तान के जेल में बंद कुलभूषण जाधव का अंतरराष्ट्री कोर्ट (ICJ) में केस लड़ रहे हरीश साल्वे जम्मू-कश्मीर पर मोदी सरकार के लिए फैसले पर अपनी प्रतिक्रिया दी है. हरीश साल्वे ने बताया कि अनुच्छेद 370 अस्थायी प्रावधान है. 1954 में 35 ए को राष्ट्रपति के आदेश पर जोड़ा गया था.

हरीश साल्वे ने बताया, '1954 में जम्मू-कश्मीर में भारत का संविधान लागू करते वक्त एक अपवाद वाला प्रावधान 35A राष्ट्रपति के आदेश से जोड़ा गया. जो आज नए आदेश से रद्द हो गया है. अब जम्मू-कश्मीर में संविधान पूरी तरह लागू होगा.'

इसके साथ ही उन्होंने बताया, 'राज्य के पुनर्गठन के लिए विधानसभा के प्रस्ताव की ज़रूरत होती है. अभी जम्मू-कश्मीर में विधानसभा नहीं है. संसद ही उसकी भूमिका निभा रही है. यानी संसद से पास होने पर जम्मू-कश्मीर केंद्र शासित राज्य बन जाएगा और लद्दाख का भी पुनर्गठन हो जाएगा.'

इसे भी पढ़ें:J & K से आर्टिकल 370 हटने से बदल गया वहां का कानून, अब कश्मीर में नहीं चलेगी RPC, लागू होगी IPC

यानी जम्मू-कश्मीर में राष्ट्रपति शासन को आगे बढ़ाने से मोदी सरकार को फायदा हुआ. अगर वहां विधानसभा होती तो मोदी सरकार को इस प्रस्ताव के लिए वहां से मंजूरी लेनी पड़ती. लेकिन अब ऐसा नहीं है. 

और पढ़ें:Article 370 and Article 35A: अब ऐसा होगा नया कश्‍मीर, देखें क्‍या-क्‍या बदल गया

बता दें कि सोमवार को मोदी सरकार ने जम्मू-कश्मीर को लेकर दो संकल्प राज्यसभा में पेश किया. एक जम्मू-कश्मीर से धारा 370 हटाने का और दूसरा जम्मू-कश्मीर राज्य को दो भागों में बांटने का संकल्प. राष्ट्रपति के साइन के बाद अब जम्मू-कश्मीर और लद्दाख केंद्र शासित प्रदेश बन गए हैं. वहीं जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हट गया है. अब वहां भारतीय संविधान लागू होगा. केंद्र सरकार का हर फैसला अब वहां पर भी लागू होगा.

Narendra Modi amit shah Jammu and Kashmir Harish Salve
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