हाथरस केस की जांच सीबीआई कर रही है. सीबीआई इस वारदात के हर साक्ष्य को एकत्र करने में जुटी रही है. वह घटना के तह तक जाने के लिए हर एंगल से जांच कर रही है. वहीं, इस बीच अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी यानि एएमयू ने जवाहर लाल नेहरू मेडिकल कॉलेज में लीव वेकेंसी पर कार्यरत 2 डॉक्टरों को हटा दिया गया है. एएमयू प्रशासन ने ये कार्रवाई ऐसे वक्त पर की है, जब हाथरस केस में सीबीआइ जांच के लिए सोमवार को मेडिकल कॉलेज पहुंची थी. बताया जा रहा है कि जिन डॉक्टर्स पर कार्रवाई हुई है. इनमें से एक डॉक्टर ने पीड़िता के मेडिकल रिपोर्ट के बारे में बयान दिया था.
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दरअसल, यूपी पुलिस ने पीड़िता की FSL रिपोर्ट के आधार पर कहा था कि पीड़िता के साथ रेप नही हुआ है. इस पर डॉ. मलिक ने कहा था कि FSL का सैंपल रेप के 11 दिन बाद लिया गया था, जबकि सरकारी गाइडलाइन्स के मुताबिक़ रेप के 96 घंटे के भीतर लिए सैंपल में ही रेप की पुष्टि हो सकती है. मंगलवार को JNMCH के CMO डॉ. शाह ज़ैदी ने उन्हें पत्र लिखकर तत्काल प्रभाव से उन्हें नौकरी से निकाले जाने की सूचना दी.
दरअसल, एएमयू प्रशासन ने जिन दो डॉक्टरों पर कार्रवाई की है. उनके नाम डॉ. उबैद और डॉ. मोहम्मद अजीमुद्दीन मलिक हैं. बताया जा रहा है कि कोरोना संक्रमण की वजह से कई डॉक्टर्स अवकाश पर चले गए थे. ऐसे डॉक्टरों की कमी पूरी करने के लिए इंतजामिया ने लीव वेकेंसी पर डॉक्टरों की नियुक्ति की थी. इन दोनों डॉक्टरों को कैज्युअलटी मेडिकल ऑफीसर के पद नियुक्त किया था.
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बता दें कि हाथरस केस में सीबीआई अपनी जांच की तेजी से आगे बढ़ा रही है. इसी सिलसिले में सीबीआई ने पीड़ित परिवार से लेकर आरोपी के परिवार से पूछताछ कर चुकी है. सीबीआई ने हाथरस केस के आरोपियों से अलीगढ़ जेल में जा कर पूछताछ कर चुकी है. सीबीआई ने घटनास्थल का क्राइम सीन भी क्रिएट कर चुकी है.
Source : News Nation Bureau