हाथरस कांड को लेकर राजनीति अपने चरम पर है. दो दिन पहले हाथरस जाने की कोशिश में कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी और महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा को पुलिस ने गिरफ्तार पर लिया था. राहुल गांधी एक बार फिर हाथरस जाने की तैयारी कर रहे हैं. दूसरी तरफ प्रियंका गांधी पिछले कुछ दिनों से हाथरस मामले में जिस तरह के बयान दे रहीं हैं उससे साफ है कि कांग्रेस हाथरस मामले पर लंबी लड़ाई लड़ने जा रही है.
हाथरस मामले और पिछले दिनों कृषि बिल को लेकर प्रियंका गांधी का विरोध साफ दिखाता है कि प्रदेश में आगामी चुनाव को लेकर उनके प्लानिंग कर ली है. प्रियंका के नेतृत्व में कांग्रेस एक सोची-समझी रणनीति के तहत आगे बढ़ रही है. उनका मकसद उत्तर प्रदेश में हाशिए पर जाने से पहले जो तबके उसका वोटर बेस हुआ करते थे, उन्हें फिर से अपने पाले में लाने पर है.
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वाल्मीकि समाज के वोटों पर है प्रियंका की नजर
हाथरस मामले में कांग्रेस के आक्रामक रुख को समझने के लिए प्रदेश के जाति फैक्टर को समझना होगा. दरअसल पीड़िता का परिवार वाल्मीकि समुदाय से है. दलित वर्ग में आने वाली यह उपजाति बीजेपी के साथ रही है. फिलहाल सत्ताधारी बीजेपी के खिलाफ वाल्मीकि समाज के लोगों में उबाल है और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) कहीं पिक्चर में ही नहीं है. ऐसे में कांग्रेस की नजर इनके वोट बैंक पर है. हाथरस जाने से रोके जाने पर प्रियंका शुक्रवार को दिल्ली के एक वाल्मीकि मंदिर पहुंच गईं.
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लंबी लड़ाई के मूड में कांग्रेस
पार्टी के एक नेता के मुताबिक कोई पार्टी सामाजिक वर्ग को तभी जीत पाती है जब वह उसके लिए लड़ती है. बीजेपी ने 2017 के विधानसभा चुनाव में लगभग सभी जातियों का समर्थन पाया था. अब कांग्रेस आक्रामक तरीके से अलग-अलग जाति के वोट बैंक पाने के लिए फिर मैदान में उतर आई है. लेकिन प्रियंका की अगुवाई में पार्टी उन जातियों और समुदायों पर फोकस कर रही है जिनसे पहले उसकी नजदीकी थी, मगर अभी उम्मीद नहीं देखती.
Source : News Nation Bureau