हाथरस मामले (Hathras Case) में नित नए खुलासे हो रहे हैं. अब आरोपियों के जेल से लिखे गए पत्र से एक बार फिर मामले के संदेहास्पद होने की आशंकाओं को बल मिला है. मामले की जांच कर रही पुलिस और एसआईटी (SIT) को जो शुरुआती सुराग मिले, उसके अनुसार सूबे के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) ने दावा किया कि यूपी में सांप्रदायिक और जातिगत हिंसा फैलाने के लिए 100 करोड़ रुपये की विदेश से फंडिंग की गई थी. पुलिस ने इस केस में पीएफआई (PFI) के शामिल होने का भी दावा किया और अब पुलिस को संकेत मिल रहे हैं कि भीम आर्मी (Bhim Army) भी इस मामले को तूल देने में शामिल है.
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भीम आर्मी के सदस्य पीड़िता के परिजन बन भड़काते रहे मामले को
सूत्रों की मानें तो जांच के दौरान यह संकेत मिले हैं कि हाथरस पीड़िता के केस में भीम आर्मी ने भी विवाद पैदा किया. आरोप है कि भीम आर्मी के कुछ कार्यकर्ता पीड़िता के परिवार के बीच उनके घर के सदस्य बनकर रह रहे थे और लगातार पुलिस, प्रशासन और मीडिया से बात कर रहे थे. पुलिस को इस बारे में जानकारी तब हुई जब पीड़िता के परिवार को सुरक्षा देने के लिए लिस्ट बनाई गई. पुलिस का दावा है कि परिजनों की लिस्ट बनाने के दौरान पता चला कि इस मामले में एक युवती लगातार बयानबाजी कर रही थी वह उनके परिवार से नदारद थी. उसके अलावा दो और युवक वहां पर नहीं थे. पुलिस को शक है कि तीनों भीम आर्मी के कार्यकर्ता थे जो यहां से लोगों को भड़काने का काम कर रहे थे.
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जांच में PFI का पहले ही आ चुका है नाम
गौरतलब है कि 14 सितंबर को हाथरस के एक गांव में पीड़िता के साथ गैंगरेप का आरोप लगा. इलाज के 15 दिन बाद पीड़िता की मौत हो गई. पुलिस ने आधी रात में ही पीड़िता का दाह संस्कार कर दिया. इसके बाद यह मामला तूल पकड़ता गया. इस घटना ने सियासी रंग ले लिया. पीड़िता के परिवार को सुरक्षा देने की मांग उठी. इधर जांच के दौरान पीएफआई का नाम आया है. पुलिस ने इस मामले में केरल के एक पत्रकार को गिरफ्तार किया है. पुलिस को जांच के दौरान भीम आर्मी और पीएफआई के इस मामले में संलिप्त होने के संकेत मिले हैं. अब पुलिस ने दोनों की मिलीभगत को लेकर जांच शुरू कर दी है.