पेजावर मठ के प्रमुख विश्वेश तीर्थ स्वामी जी की हालत गंभीर है और डॉक्टरों ने शनिवार को कहा कि उनकी हालत बिगड़ती जा रही है. पेजावर मठ उडुपी के 'अष्ट' मठों में से एक है. मठ के अधिकारियों ने कहा कि स्वामी जी की इच्छा के अनुसार रविवार को उन्हें अस्पताल से मठ ले जाने का फैसला किया है. स्वामी जी के कनिष्ठ विश्वप्रसन्ना तीर्थ स्वामीजी ने कहा कि उनका इलाज मठ में जारी रहेगा.
मणिपाल के कस्तूरबा अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक ने एक स्वास्थ्य बुलेटिन में कहा, ‘‘श्री विश्वेश तीर्थ स्वामी जी की हालत बहुत गंभीर है और उनकी स्थिति बिगड़ती जा रही है. वे अचेत हैं और जीवनरक्षक प्रणाली पर हैं.’’ स्वामी (88) को सांस लेने में कठिनाई की शिकायत के बाद 20 दिसंबर को अस्पताल में भर्ती कराया गया था और तब से वह गहन चिकित्सा कक्ष (आईसीयू) में हैं.
डॉक्टरों ने पहले कहा था कि स्वामी जी का निमोनिया का इलाज चल रहा था. विश्वप्रसन्ना तीर्थ स्वामीजी ने कहा कि उनकी इच्छा के अनुसार उन्हें मठ में स्थानांतरित किया जाएगा और वहां आगे के इलाज के लिए व्यवस्थाएं की जा रही हैं. उन्होंने कहा कि डॉक्टर पूरा प्रयास कर रहे हैं. स्थिति में सुधार के कोई संकेत नहीं हैं. इसलिए हमने अपने गुरु को रविवार को आवश्यक जीवन समर्थन प्रणाली के साथ मठ में स्थानांतरित करने का फैसला किया है. तटीय क्षेत्र का दौरा कर रहे मुख्यमंत्री बी एस येदियुरप्पा स्वामी जी को देखने अस्पताल पहुंचे.
मुख्यमंत्री ने संवाददाताओं से कहा कि स्वामीजी का स्वास्थ्य हर पल बिगड़ रहा है और डॉक्टर अपनी ओर से पूरा प्रयास कर रहे हैं. लेकिन डॉक्टर कह रहे हैं कि कोई सुधार नहीं हो रहा है. मुख्यमंत्री ने कहा कि हमने सब कुछ भगवान कृष्ण पर छोड़ दिया है. मुख्यमंत्री ने रविवार को उडुपी में ही रहने का फैसला किया है. वरिष्ठ भाजपा नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री उमा भारती स्वामी जी की शिष्या हैं. उन्होंने कहा कि वह अपने गुरु के ठीक होने के लिए प्रार्थना कर रही हैं. उमा भारती ने उन्हें समाज के सभी वर्गों के लोगों के श्रद्धेय और दुर्लभतम संत बताया. उमा भारती ने कहा, ‘‘मेरे लिए वह न केवल गुरु हैं बल्कि पिता की तरह हैं. मैं उनके स्वास्थ्य के लिए प्रार्थना करती हूं, क्योंकि समाज को स्वामी जी की बहुत जरूरत है.’’ उन्होंने कहा, ‘‘मेरे गुरु एक कर्म योगी हैं और उन्होंने हम सभी को कर्म योगी बनने की शिक्षा दी.’’ उमा करीब एक सप्ताह से उडुपी में ही हैं. उमा ने 1992 में स्वामी जी से संन्यास दीक्षा ली थी.
Source : Bhasha