केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया इस समय जिनेवा में विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की मीटिंग में संगठन द्वारा जारी कोरोना आंकड़ों पर चिंता व्यक्त की. मंडाविया ने कहा कि भारत और अन्य देशों द्वारा व्यक्त की गई चिंता की अनदेखी करते हुए, जिस तरह से डब्ल्यूएचओ ने सर्व-कारण अधिक मृत्यु दर पर रिपोर्ट तैयार और प्रकाशित की गई थी, उस पर भारत अपनी निराशा व्यक्त करना चाहता है. उन्होंने कहा कि WHO ने जिन डेटा और स्रोतों का उपयोग किया वह भारत के वैधानिक प्राधिकरण और देश-विशिष्ट प्रामाणिक डेटा नहीं था.
बता दे कि, भारत सरकार ने कोरोना से भारत में मौत को लेकर विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट को एक सिरे से खारिज कर दिया था. डब्ल्यूएचओ ने अपनी रिपोर्ट में भारत के अंदर कोविड-19 महामारी के चलते करीब 47 लाख लोगों की मौत का अनुमान लगाया था. डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट में यह कहा गया था कि जनवरी 2020 से लेकर दिसंबर 2021 के बीच करीब 47 लाख लोगों की मौत हो गई, जबकि आधिकारिक तौर पर दिए गए आंकड़े से करीब 10 गुना ज्यादा है.
तब देश के शीर्ष स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने डब्ल्यूएचओ की तरफ से कोरोना या इसके प्रभाव की वजह से भारत में 47 लाख लोगों की मौत का अनुमान लगाने के लिए प्रयुक्त ‘मॉडलिंग’ पद्धति पर सवाल खड़े किए. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि वे इस संबंध में वैश्विक स्वास्थ्य निकाय द्वारा अपनाए गए दृष्टिकोण से निराश हैं जो ‘सबके लिए एक ही नीति अपनाने’के समान है.
स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने कहा कि पीएम मोदी ने टीकों, चिकित्सा विज्ञान, सुधारों के लिए डब्ल्यूएचओ की अनुमोदन प्रक्रिया को सुव्यवस्थित करने के लिए टीकों और दवाओं तक समान पहुंच को सक्षम करने के लिए एक लचीली वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला बनाने की आवश्यकता पर प्रकाश डाला.