स्वास्थ्य मंत्री मनसुख एल मांडविया (Mansukh Mandaviya) ने दवाओं की कीमतों को अधिक करने के संबंध में सफाई दी है. उन्होंने लोगों की चिंताओं को दूर करते हुए सोमवार को कहा कि सरकार ने इनके दाम में कोई बढ़ोतरी नहीं किया है. थोक मूल्य सूचकांक (डब्ल्यूपीआई) से जुड़ी एवं बहुत कम कीमत वाली केवल कुछ आवश्यक दवाओं की कीमत में मुद्रास्फीति के रुझान के अनुसार स्वत: वृद्धि या गिरावट देखी जा सकती है. मांडविया ने कहा, ‘डब्ल्यूपीआई से जुड़ी कुछ जरूरी दवाओं में डब्ल्यूपीआई की गतिविधि के अनुसार स्वत: उतार या चढ़ाव देखा गया है. इन दवाओं की कीमत कुछ ही रुपए है और यदि डब्ल्यूपीआई में दस प्रतिशत की बढ़ोतरी होती है, तो दाम कुछ पैसे ही बढ़ेंगे.’’
उन्होंने कहा कि इन दवाओं की कीमत में सरकार की कोई भूमिका नहीं है. उसने दाम में कोई बढ़ोतरी नहीं की है और ना ही उसकी ऐसा करने का कोई इरादा है. मांडविया ने मीडिया से कहा कि जब डब्ल्यूपीआई में गिरावट आती है, तो इन दवाओं को दाम भी अपने आप गिरते हैं.
राष्ट्रीय औषधि मूल्य निर्धारण प्राधिकरण (एनपीपीए) ने जरूरी दवाओं की राष्ट्रीय सूची (एनएलईएम) के तहत मूल्य नियंत्रण के दायरे में आने वाली दवाओं में अप्रैल से मूल्य वृद्धि की हालत में अनुमति दे दी थी. इसके बाद कुछ लोग इसे लेकर चिंता व्यक्त कर रहे हैं. इन दवाओं में पेरासिटामोल, जीवाणु संक्रमण के इलाज के लिए उपयोग की जाने वाली एंटीबायोटिक दवाएं, एनीमिया रोधी दवाएं, विटामिन संबंधी दवाएं शामिल हैं.
HIGHLIGHTS
- कहा, दवाओं की कीमत में सरकार की कोई भूमिका नहीं है
- डब्ल्यूपीआई में गिरावट आती है, तो इन दवाओं को दाम भी अपने आप गिरते हैं