IVF को लेकर मोदी सरकार लाने जा रही है एक अधिनियम...जानें क्या होगा असर

आईवीएफ (IVF) एक ऐसी तकनीक है जो निसंतान महिला-पुरुष को संतान का सुख देता है. आईवीएफ यानी इन विट्रो फर्टिलाइजेशन कृत्रिम गर्भाधान की तकनीक है.

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nitu pandey
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IVF को लेकर मोदी सरकार लाने जा रही है एक अधिनियम...जानें क्या होगा असर

IVF को लेकर मोदी सरकार लाने जा रही है एक अधिनियम( Photo Credit : प्रतिकात्मक)

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आईवीएफ (IVF) एक ऐसी तकनीक है जो निसंतान महिला-पुरुष को संतान का सुख देती है. आईवीएफ यानी इन विट्रो फर्टिलाइजेशन कृत्रिम गर्भाधान की तकनीक है. यह तकनीक संतान विहीन कपल के लिए एक वरदान है. आईवीएफ में महिला के अंडे और पुरुष के स्पर्म को लैबोरेट्री में एक साथ रखकर फर्टिलाइज करने के बाद महिला के गर्भ में ट्रांसफर कर देते हैं. इस प्रक्रिया को एम्ब्रियो कल्चर व टैस्ट ट्यूब बेबी भी कहते हैं. ये तो बाद हो गई इस तकनीक की, लेकिन मोदी सरकार इसे लेकर एक विधेयक लाने जा रही है.

मोदी सरकार आईवीएफ तकनीक और एआरटी क्लीनिकों की सेवाओं को कानून के दायरे में लाने के लिए संसद के अगले सत्र में असिस्टेड रिप्रोडक्टिव टेक्नोलॉजी (रेगुलेशन) बिल 2019 पेश करने की तैयारी कर रही है. इसमें गर्भधारण करने की महिलाओं की उम्र सीमा कम कर दी जाएगी. इस विधेयक में गर्भधारण करने की अधिकतम उम्र सीमा 50 साल की जाएगी. इसके बिल के आ जाने के बाद ज्यादा उम्र की महिलाएं आईवीएफ के जरिए गर्भधारण नहीं कर सकती हैं. इसके साथ ही विधेयक के जरिए इस तकनीक को करने वाले प्रयोगशालाओं की पूरी निगरानी और मापदंड के आधार पर लाइसेंस देना भी शामिल है.

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बता दे कि आईवीएफ तकनीक से 50-60 साल की महिलाएं मां बन सकती है. लेकिन देश में आईवीएफ के सहारे 70-70 साल की महिलाएं भी गर्भधारण कर रही हैं. हाल ही में आंध्र प्रदेश के पूर्वी गोदवरी में रहने वाली 74 साल की मंगयम्मा ने जुड़वा बच्चों को जन्म दिया था. मंगयम्मा सबसे ज्यादा उम्र में मां बनने वाली महिला बन गई हैं.

आईवीएफ के सहारे निसंतान भले ही संतान का सुख ले रहे हो, लेकिन डॉक्टर्स की मानें तो 50 से ज्यादा उम्र की महिलाओं को इस तकनीक के सहारे मां बनाना गलत है. डॉक्टरों ने आईवीएफ मामले में तय सीमा करने की मांग की है.

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भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) के अनुसार अगर कोई जोड़ा बच्चा गोद लेना चाहता है तो उनकी अधिकतम उम्र 50 से 55 साल के बीच होनी चाहिए. जब बच्चा गोद देने के लिए यह नियम बना है तो बच्चे को पैदा करने के लिए भी एक उम्र सीमा होनी चाहिए.

एक महिला को 9 महीने तक अपने पेट में बच्चे रखने होते हैं. इसलिए उसका स्वस्थ्य और तंदुरुस्त होना जरूरी होता है. 50 साल से ज्यादा उम्र में महिलाएं अगर गर्भधारण करती हैं तो उनका विकास सही नहीं होगा. यहां तक की महिलाओं के शरीर पर भी इसका नुकसान पहुंचता है. जब बच्चे के गोद लेने वाले माता-पिता की उम्र तय है तो आईवीएफ तकनीक से मां बनने की चाहत रखने वाली मां की उम्र भी तय की जानी चाहिए.

बता दें कि हाल ही में सरकार सरोगेसी कानून भी लाई थी ताकि इस क्षेत्र की अनियमितताओं और महिलाओं को शोषण से बचाया जा सके.

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