स्वास्थ्य मंत्रालय ने कोरोना के संक्रमण से गंभीर रूप से प्रभावित मरीजों के इलाज के लिये मलेरिया रोधी दवा हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन के साथ एजीथ्रोमाइसीन देने की सिफारिश की है. मंत्रालय द्वारा मंगलवार को जारी संशोधित दिशानिर्देश में कहा कि यह दवा फिलहाल 12 साल से कम उम्र के बच्चों और गर्भवती महिलाओं तथा शिशुओं को दुग्धपान कराने वाली महिलाओं को नहीं नहीं दी जा रही हैं.
मंत्रालय ने दिशानिर्देश में इन दवाओं को देने की सिफारिश करते हुये कहा कि मरीजों के इलाज के बारे में मौजूदा आंकड़ों के मुताबिक कोई अन्य वायरल रोधी (एंटीवायरल) दवा कारगर साबित नहीं हो रही है. ऐसे में सघन चिकित्सा केन्द्र (आईसीयू) में भर्ती गंभीर हालत वाले रोगियों को ये दोनों दवायें एक साथ दी जा सकेंगी. मंत्रालय ने कोरोना के गंभीर हालत वाले मरीजों के इलाज की दवाओं की पुरानी सूची से एचआईवी रोधी दवाओं लोपीनाविर और रिटोनाविर को हटा लिया है.
अब तक मरीजों के इलाज के उपलब्ध आंकड़ों के आधार पर मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा कि ये दवायें गंभीर मरीजों पर कारगर साबित नहीं हो रही थीं. दिशानिर्देश में कोरोना के मरीजों को संक्रमण की तीन श्रेणियो, गंभीर, मध्यम और मामूली संक्रमण में बांटते हुये इलाज का तरीका तय किया गया है. इसमें गंभीर हालत में संक्रमण की पहचान होने वाले मरीजों को आईसीयू प्रोटोकॉल के दायरे में लेकर इलाज करने को कहा गया है.
दिशानिर्देश में स्पष्ट रूप से मरीजों का इलाज कर रहे चिकित्सकों को मरीज के श्वसन तंत्र की निरंतर निगरानी करने को भी कहा गया है. साथ ही मरीज और उसके परिजनों को समय समय पर वस्तुस्थिति की वास्तविक जानकारी से अवगत कराते रहने को कहा गया है.
Source : Bhasha