सुप्रीम कोर्ट में 26 फरवरी को अयोध्या केस की सुनवाई होगी. चीफ जस्टिस (CJI) रंजन गोगोई की बेंच इसकी सुनवाई करेगी. इस बेंच में जस्टिस एसए बोबड़े, डीवाई चंद्रचूड़, अशोक भूषण, अब्दुल नजीर शामिल हैं. अयोध्या मामले की सुनवाई के लिए सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने बेंच गठित की. इससे पहले जस्टिस बोबड़े के अवकाश पर रहने के चलते 29 जनवरी को तय सुनवाई टल गई थी.
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गौरतलब है कि 7 दशकों से अदालत के गलियारों में फंसे देश से सबसे पुराने, सबसे बड़े और शायद सबसे पेचीदा मामलों में से एक अयोध्या विवाद है. सुप्रीम कोर्ट में अयोध्या विवाद पर 10 जनवरी को हुई सुनवाई के दौरान सुन्नी वक्फ बोर्ड के वकील राजीव धन ने जस्टिस यूयू ललित को लेकर सवाल उठाए. जस्टिस यूयू ललित उस 5 सदस्यीय संविधान पीठ के सदस्य थे, जो अयोध्या मामले की सुनवाई कर रही थी, लेकिन अधिवक्ता राजीव धवन की आपत्ति के बाद वह स्वयं केस से हट गए. राजीव धवन की दलील थी कि यूयू ललित अधिवक्ता रहते हुए बाबरी विध्वंस मामले में आरोपी रहे उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह के लिए 1994 में पेश हुए थे. इस पर जस्टिस यूयू ललित ने केस से खुद को अलग कर लिया. हालांकि हिंदू पक्ष के वकील हरीश साल्वे ने कहा कि हमें यूयू ललित से कोई समस्या नहीं है.
बता दें कि केंद्र सरकार ने बड़ा कदम उठाते हुए सुप्रीम कोर्ट में एक अर्जी दाखिल की थी. अर्जी में सरकार ने अयोध्या में जमीन का कुछ राम जन्मभूमि न्यास को देने की बात कही है. सरकार का कहना है कि 67 एकड़ जमीन अधिग्रहण किया गया था, जिसपर सुप्रीम कोर्ट ने यथास्थिति बरकरार रखने का आदेश दिया है. जमीन का विवाद सिर्फ 2.77 एकड़ का है, बाकी जमीन पर कोई विवाद नहीं है. इसलिए उस पर यथास्थित बरकरार रखने की जरूरत नहीं है. सरकार चाहती है कि जमीन का कुछ हिस्सा राम जन्भूमि न्यास को दिया जाए और सुप्रीम इसकी इज़ाजत दे.
Source : News Nation Bureau