दिल्ली की एक अदालत ने मंगलवार को कथित रूप से मानहानि से संबंधित लेख प्रकाशित करने पर एक समाचार पत्रिका और वरिष्ठ कांग्रेसी नेता जयराम रमेश के खिलाफ राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजीत डोभाल के बेटे विवेक डोभाल की शिकायत पर गौर करने पर सहमति जताई. अतिरिक्त मुख्य महानगर दंडाधिकारी (Additional Chief Metropolitan Magistrate) समर विशाल ने मामले की सुनवाई के लिए 30 जनवरी का दिन निर्धारित किया है. उस दिन शिकायतकर्ता विवेक डोभाल और दो अन्य गवाहों के बयान दर्ज किए जाएंगे.
विवेक ने आरोप लगाया है, 'जयराम रमेश ने उनके पिता से बदला लेने के लिए, जानबूझकर अपमानित करने और उनकी छवि खराब करने के लिए इस लेख का इस्तेमाल किया.'
इस शिकायत में द कारवां और लेख के लेखक पर आरोप लगाए गए हैं. इस पर 30 जनवरी को सुनवाई होगी और उस दिन विवेक द्वारा बताए गए गवाहों के बयान दर्ज होंगे.
विवेक के अलावा, दो अन्य गवाह उनके दोस्त निखिल कपूर और कारोबारी साथी अमित शर्मा हैं जो फौजदारी मानहानि शिकायत के समर्थन में अपने बयान दर्ज कराएंगे.
शिकायत में आरोप लगाया गया कि लेख में विवेक द्वारा संचालित कंपनियों को डी-कंपनीज कहा गया है जो उनके और पूरे देश के लिए बहुत निरादर वाला नाम है.
विवेक डोभाल की ओर से पेश वकील डी पी सिंह ने अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट समर विशाल से कहा, 'कृपया मेरी शिकायत पर संज्ञान लीजिए. हमारे खिलाफ मानहानिपूर्ण सामग्री प्रकाशित हुई है.'
जब वकील ने डी कंपनी का जिक्र किया तो जज ने कहा, डी-कंपनी का क्या मतलब है? वकील ने कहा कि यह भगोड़े अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम के बारे में है जो विदेश से गैरकानूनी गतिविधियां चला रहा है.
वकील ने कहा, 'दाऊद का जिक्र करने के लिए इस नाम (डी कंपनी) का इस्तेमाल कई फिल्मों में किया गया है.' शिकायत के अनुसार, जयराम रमेश ने 17 जनवरी को लेख में लिखे 'बेबुनियाद और मनगढंत तथ्यों' को दोहराया था.
द कारवां ने 16 जनवरी को अपनी ऑनलाइन पत्रिका में द डी कंपनीज शीर्षक से खबर दी थी जिसमें कहा गया था कि विवेक कर चोरी की स्थापित पनाहगाह केमन द्वीप पर एक विदेशी फंड कंपनी चलाते हैं. जिसका पंजीकरण प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार द्वारा 2016 में 500 और एक हजार रुपए के नोट बंद करने के केवल 13 दिन बाद हुआ.
विवेक ने आरोप लगाया कि लेख की सामग्री उनके द्वारा किसी गैरकानूनी काम की बात नहीं करती लेकिन पूरी कहानी इस ढंग से लिखी गई है जो पाठकों को गड़बड़ियों का संकेत देती है.
शिकायत में कहा गया कि पैराग्राफों को इस तरह व्यवस्थित किया गया है और अलग-अलग पैराग्राफ को ऐसे जोड़ा गया है जिसका उद्देश्य पाठकों को भ्रमित करना और उन्हें यह सोचने पर मजबूर करना है कि शिकायतकर्ता के नेतृत्व में कोई बड़ी साजिश चल रही है.
इसमें कहा गया कि पत्रिका के हैंडल द्वारा किए गए सोशल मीडिया ट्वीट में लेख से कुछ पंक्तियां उठाई गईं जो स्पष्ट करती हैं कि आगामी आम चुनावों को ध्यान में रखते हुए राजनीतिक लाभ कमाने के लिए यह विवेक और उनके परिवार की प्रतिष्ठा खराब करने का प्रयास है.
शिकायत में कहा गया कि लेख का शीर्षक भी सनसनी फैलाने वाला है...जो शिकायतकर्ता और उनके परिवार के खिलाफ पाठकों के मन में पूर्वाग्रह पैदा करता है.
इसमें कहा गया कि विवेक और उनके बड़े भाई से जानकारी मांगने के लिए एक सोशल नेटवर्किंग साइट पर उन्हें सवाल भेजे गए और अस्पष्ट रूप से बताया गया कि यह पत्रिका द्वारा की जा रही खबर को लेकर है.
इसमें आरोप लगाया गया कि उनसे या उनके बड़े भाई से कोई स्पष्टीकरण मांगने के लिए कोई फोन कॉल नहीं आया जो साफ करता है कि सवाल भेजना किसी आपराधिक कार्रवाई के बचाव के तौर पर औपचारिकता पूरी करने के लिए मात्र आंखों में धूल झोंकने जैसा था क्योंकि आरोपियों को पता था कि आरोप खुद में मानहानिपूर्ण और झूठे हैं.
जयराम रमेश के संबंध में, शिकायत में कहा गया कि उनके द्वारा संबोधित किए गए लेख में लिखी बातों से आगे चला गया और वह हमला बोलने के लिए पूरी तरह से तैयार थे और उन्हें केवल लेख के प्रकाशन का इंतजार था. जो उन्हें शिकायतकर्ता और उनके परिवार की प्रतिष्ठा को जानबूझकर चोट पहुंचाने का मौका दे सके.
शिकायत में कहा गया कि लेख का इस्तेमाल बदला लेने और दुश्मनी निकालने के लिए राजनीतिक हथियार के रूप में किया गया. शिकायतकर्ता ने कहा कि लेख के लेखक ने कई दस्तावेज हासिल करने का दावा किया और कहा कि इनमें महत्वपूर्ण सूचनाएं प्राप्त हुईं.
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इसमें कहा गया कि केमन द्वीप या दुनिया में किसी अन्य स्थान पर कोई विदेशी फंड फर्म स्थापित करना अपने आप में गैरकानूनी और अवैध काम नहीं है. शिकायत में कहा गया कि हालांकि इसे इस तरीके से दिखाया गया है कि विदेशी फंड फर्म स्थापित करना ही गैरकानूनी काम है.
Source : News Nation Bureau