पूरा भारत गर्मी की मार झेल रहा है. चिलचिलाती धूप से लोग त्राहिमाम कर रहे हैं. गर्मी के कारण हीटवेव और हीटस्ट्रोक के मामलो में बढ़ोत्तरी हो गई है. उत्तर भारत गर्मी से खासा परेशान हैं. इस बीच, मंगलवार को नोएडा में 14 लोगों की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई. आशंका है कि सभी मौतें लू और हीट स्ट्रोक के चलते हुई है. स्वास्थ्य विभाग का कहना है कि पोस्टमार्टम के बाद ही मौत का सही कारण सामने आ पाएगा. सभी 14 मौतें अलग-अलग इलाकों में हुई है. कुछ को पुलिस वाले अस्पताल लेकर पहुंचे थे तो कुछ लोगों को परिजन अस्पताल लेकर पहुंचे. शवों पर किसी चोट के निशान नहीं हैं. शवों को पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया है.
नोएडा जिला अस्पताल की सीएमएस, रेणु अग्रवाल ने बताया कि एक दिन पहले जिला अस्पताल में मौत के 14 मामले सामने आए थे. मौत का असल कारण पोस्टमार्टम के बाद ही सामने आएगा. लू और हीट स्ट्रोक का एंगल भी पोस्टमार्टम से बाद ही पता चलेगा. वहीं, राजधानी दिल्ली में पांच लोगों की मौत हीटवेव के चलती हुई है. वहीं, 50 से अधिक लोग दिल्ली के अस्पताल में भर्ती हैं. दिल्ली के आरएमएल अस्पताल की सीनियर कंसल्टेंट डॉ. अजय शुक्ला ने बताया कि हालत गंभीर होने के कारण 12 मरीज वेंटिलेटर पर हैं. अधिकांश मरीज इनमें मजदूर हैं. जिन लोगों की मौत हुई, इसकी मुख्य वजह है- अस्पताल देरी से पहुंचना.
आखिर इंसान कितना तापमान बर्दाश्त कर सकता है
राजधानी दिल्ली में गर्मी ने 12 साल के रिकॉर्ड को तोड़ दिया है. गर्मी से मरीजों की संख्या बढ़ती जा रही है. लोग अब सिर्फ बारिश के इंतजार में हैं. इतनी गर्मी के बीच सवाल उठता है कि आखिर इंसान कितना तापमान बर्दाश्त कर सकता है. इसके जवाब में स्वास्थ्य विशेषज्ञ का कहना है कि गर्मी सहने की क्षमता हर इंसान में अलग-अलग होती है. यह लोगों की इम्यूनिटी पर निर्भर है. उनका कहना है कि करीब 42 डिग्री सेल्सियस में अगर इंसान लंबे समय तक रहता है तो उसका मेटाबॉलिज्म खराब हो जाएगा. शरीर को सुरक्षित रखने वाले एंजाइम नहीं बनेंगे और आखिर में मल्टी ऑर्गन फेल होंगे और फिर मौत.
प्रचंड गर्मी का यह है मुख्य कारण
गर्मी बढ़ने का मुख्य कारण है- क्लाइमेट चेंज. ग्लोबल वार्मिंग के कारण सिर्फ भारत ही नहीं बल्कि दुनिया भर के शहर प्रचंड गर्मी की चपेट में हैं. दुनिया भर में इन दिनों तापमान बढ़ा हुआ है. यहां तक की लंदन में भी इस साल हीटवेव का अलर्ट जारी किया गया है. ग्लोबल वार्मिंग के अलावा, अल नीनो के कारण भी प्रचंड गर्मी के हालात बने हुए हैं. अल नीनो से हवाएं उल्टी बहती हैं. महासागर के पानी का तापमान भी बढ़ जाता है. अल नीनो पूरे विश्व के मौसम को प्रभावित करता है. इससे तापमान में भी बढ़ोत्तरी हो रही है.
Source : News Nation Bureau