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तमिलनाडु के कुन्नूर में सेना का हेलीकॉप्टर Mi-17V5 क्रैश हो गया है. इस हेलीकॉप्टर में सीडीएम बिपिन रावत और उनकी पत्नी समेत कुच 14 लोग सवार थे. ANI के अनुसार, हेलीकॉप्टर क्रैश में 13 लोगों की मौत हो गई है. हेलीकॉप्टर क्रैश मामले में वायुसेना ने बयान जारी कर कहा कि हादसे में सीडीएस बिपिन रावत और उनकी पत्नी मधुलिका रावत का निधन हो गया है. आइये हम आपको बताते हैं कि भारत के पहले CDS जनरल बिपिन रावत के बारे में
- बिपिन रावत का जन्म उत्तराखंड के पौड़ी में 16 मार्च 1958 को हुआ था.
- उनके पिता लक्ष्मण सिंह लेफ्टिनेंट जनरल के पद से रिटायर हुए थे.
- उन्होंने मेरठ यूनिवर्सिटी से मिलिट्री-मीडिया स्ट्रैटेजिक स्टडीज में पीएचडी भी की थी.
- जनरल बिपिन रावत राष्ट्रीय रक्षा अकादमी, वेलिंगटन स्थित रक्षा सेवा स्टाफ कॉलेज और उच्च कमान राष्ट्रीय रक्षा कॉलेज के पूर्व छात्र रह चुके हैं.
- गोरखा राइफल से 1978 में अपने सैन्य करियर की शुरुआत की थी. उन्होंने दिसंबर 2019 तक सेना की नौकरी की. सेना से रिटायरमेंट के एक दिन पहले ही सरकार ने उन्हें चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) बनाने की घोषणा की थी.
- उन्होंने 1 जनवरी 2020 को पदभार भी ग्रहण कर लिया था.
- बिपिन रावत को 1978 में सेना की 11वीं गोरखा राइफल्स की पांचवीं बटालियन में कमीशन मिला था.
- भारतीय सैन्य अकादमी (आईएमए) में उन्हें सोर्ड ऑफ ऑनर से सम्मानित किया गया था.
- जनरल रावत का करियर उपलब्धियों से भरपूर रहा है. इसे उनको मिले पुरस्कारों से समझा जा सकता है.
- उन्हें उत्तम युद्ध सेवा मेडल, अति विशिष्ट सेवा मेडल, युद्ध सेवा मेडल, सेना मेडल, विदेश सेवा मेडल जैसे मेडल मिल चुके हैं.
करगिल युद्ध में लिया हिस्सा
- जनरल रावत ने 1999 में पाकिस्तान के साथ हुए करगिल युद्ध में हिस्सा लिया था.
- इस युद्ध में भारत को जीत मिली थी. सरकार ने 2001 में उस समय के उपप्रधानमंत्री लाल कृष्ण आडवाणी की अध्यक्षता में करगिल -युद्ध की समीक्षा के लिए ग्रुप ऑफ मिनिस्टर्स (जीओएम) का गठन किया था. इस जीओएम ने युद्ध के दौरान भारतीय सेना और -वायुसेना के बीच तालमेल की कमी का पता लगाया था. इसी समूह ने चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) के नियुक्ति की -सिफारिश की थी. इसका उद्देश्य तीनों सेनाओं में तालेमेल बनाना है.
- जनरल बिपिन रावत ने कॉन्गो में संयुक्त राष्ट्र के शांति मिशन का नेतृत्व भी किया. इस दौरान उन्होंने एक बहुराष्ट्रीय ब्रिगेड का भी नेतृत्व किया. उन्हें 1 सितंबर 2016 को उप सेना प्रमुख बनाया गया था.
- जनरल रावत ने सेना की कमान 31 दिसंबर 2016 को संभाली थी. उन्हें दो अधिकारियों पर तरजीह दी गई थी. इसमें अशांत क्षेत्रों में काम करने के उनके अनुभव की बड़ी भूमिका थी.
- उनके पास पूर्वी सेक्टर में वास्तविक नियंत्रण रेखा, कश्मीर घाटी और पूर्वोत्तर में काम करने का अनुभव था.
Source : News Nation Bureau
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