बंबई हाई कोर्ट की पणजी पीठ ने गुरुवार को अस्वस्थ मुख्यमंत्री मनोहर पर्रिकर की चिकित्सकीय जांच की मांग वाली याचिका को खारिज कर दिया. पर्रिकर के निजता के अधिकार को प्राथमिकता देते हुए अदालत ने फैसला दिया कि खराब स्वास्थ्य किसी को संवैधानिक पद को धारण करने में अक्षम नहीं बनाता. अदालत ने आदेश में कहा कि याचिका एक व्यक्ति की निजता के अधिकार में गंभीर रूप से दखलअंदाजी करने की अधूरे मन से की गई कोशिश है और यह अप्रशंसनीय है.
स्थानीय राजनेता ट्राजनो डी मेलो ने याचिका दाखिल की थी और पर्रिकर के स्वास्थ्य के बारे जानकारी मांगी थी. गोवा के मुख्यमंत्री पर्रिकर पैंक्रियाटिक कैंसर से जूझ रहे हैं.
न्यायमूर्ति पृथ्वीराज के.चौहान और न्यायमूर्ति आर.एम.बोर्डे ने कहा, 'संवैधानिक पदाधिकारी महज अपने खराब स्वास्थ्य की वजह से संवैधानिक पद को धारण करने में अक्षम नहीं है, जिसे वह विधानसभा में अपना बहुमत साबित करने की वजह से धारण किए हुए है. किसी भी प्रतिद्वंद्वी राजनीतिक हित रखने वाले व्यक्ति को उसे राजनीतिक सत्ता से हटाने के लिए लोकतांत्रिक प्रक्रिया को अपनाना होगा.'
अदालत ने यह भी कहा कि चिकित्सकों की एक समिति द्वारा पर्रिकर की चिकित्सकीय जांच और उसकी रिपोर्ट को सार्वजनिक करने की मांग, एक व्यक्ति के निजता के अधिकार का अतिक्रमण है. अदालत ने कहा कि इस तरह के आग्रह को मंजूरी देना कानूनन अनुचित है.
Source : IANS