देश में लगातार बढ़ते कोरोना के मामलों के बीच चुनावी रैली में नेताओं के द्वारा ही कोविड गाइडलाइंस का उल्लंघन के आरोप वाली याचिका पर दिल्ली हाईकोर्ट ने चुनाव आयोग को नोटिस जारी किया है. हाईकोर्ट ने गृह मंत्रालय से भी इस मामले में जवाब मांगा है. इस अर्जी में मांग की गई है कि केंद्रीय चुनाव आयोग को निर्देश दिया जाए कि वह केंद्र सरकार द्वारा जारी किए गए निर्देशों का सख्ती से पालन करवाएं और इसके लिए राजनीतिक दलों और चुनाव की ड्यूटी में लगे अधिकारियों को निर्देश दें. याचिका में कहा गया कि चुनाव आयोग को अनुच्छेद 324 के तहत क़ानूनी और संवैधानिक दायित्वों को निभाना चाहिए.
17 मार्च को यूपी के पूर्व DGP और थिंक टैंक सीएएससी के चेयरमैन विक्रम सिंह ने ये याचिका हाइकोर्ट में दायर की थी. कोर्ट ने उस याचिका पर 22 मार्च को सुनवाई करते हुए नोटिस जारी करके केंद्रीय गृह मंत्रालय और चुनाव आयोग से 30 अप्रैल तक अपना जवाब दायर करने का आदेश दिया था.
यह भी पढ़ेंः कोरोनाः किस राज्य में लॉकडाउन और कहां लगा नाइट कर्फ्यू? जानें यहां
पिछली सुनवाई में याचिकाकर्ता विक्रम सिंह की ओर से पेश हुए वकील विराग गुप्ता ने दलील दी कि कोविड के बढ़ते खतरे के बीच चुनाव आयोग की दलील बेबुनियाद है. 26 फरवरी के आयोग के नोटिफिकेशन के मुताबिक चुनाव से जुड़ी किसी भी गतिविधि में शामिल हर शख़्स के लिए मास्क पहनना ज़रूरी है. वकील विराग गुप्ता ने कोलकाता- दिल्ली फ्लाइट के दौरान यात्रियों द्वारा मास्क न पहनने के मसले पर जस्टिस हरिशंकर के स्वत: संज्ञान लेने वाले आदेश का हवाला दिया.
उन्होंने कहा- इस मामले में दिल्ली हाईकोर्ट ने इस मामले में ज़रूरी दिशा निर्देश जारी किए, जिन पर अमल होने के चलते मास्क न पहनने पर बहुत सारे लोगों को फ्लाइट में बैठने की इजाज़त नहीं दी गई. इस मामले में दिशानिर्देश DDCA को जारी किए गए. जब दिल्ली हाईकोर्ट कोलकाता एयरपोर्ट पर मास्क न पहनने की घटना पर संज्ञान ले सकता है तो कोर्ट इस याचिका पर भी संज्ञान ले सकता है. चुनाव आयोग को अनुच्छेद 324 के तहत क़ानूनी और संवैधानिक दायित्वों को निभाना चाहिए. बहरहाल कोर्ट ने दोनों की दलील सुनने के बाद गृह मंत्रालय और चुनाव आयोग को नोटिस जारी कर दिया.
यह भी पढ़ेंः मध्य प्रदेश में अब 2 दिन का लॉकडाउन, शनिवार-रविवार सब रहेगा बंद
याचिका में क्या कहा गया है
कोर्ट में दायर याचिका में कहा गया है कि प्रत्येक व्यक्ति को जीवन का मौलिक अधिकार है और चुनाव प्रक्रिया के दौरान प्रचारकों और उम्मीदवारों के मास्क नहीं पहनने की वजह से उनका यह अधिकार प्रभावित होता है. चुनाव आयोग ने इसके लिए दिशानिर्देश भी जारी किए है. अगर इनका पालन नहीं होता है तो कोर्ट आयोग को उन पर प्रचार से रोक लगाने को कहे.