दिल्ली के हजरत निजामुद्दीन औलिया दरगाह के गर्भ गृह में महिलाओं के प्रवेश की मांग वाली जनहित याचिका पर दिल्ली हाई कोर्ट ने केंद्र सरकार, दिल्ली सरकार, दिल्ली पुलिस और दरगाह के ट्रस्ट से जवाब मांगा है. दिल्ली हाई कोर्ट में चीफ जस्टिस राजेन्द्र मेनन और जस्टिस वी के राव की पीठ ने नोटिस जारी कर अगले साल 11 अप्रैल 2019 तक याचिका पर जवाब मांगा है. मामले की अगली सुनवाई 11 अप्रैल 2019 को होनी है.
दिल्ली हाई कोर्ट कानून की 3 छात्राओं के द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी. इन्होंने याचिका में कहा था कि दरगाह के गर्भ गृह में महिलाओं को प्रवेश की अनुमति नहीं है.
याचिका को वकील कमलेश कुमार मिश्रा के जरिये फाइल किया गया था. वकील ने कहा कि दरगाह के गर्भ गृह के बाहर नोटिस चिपकाया हुआ है. जिसमें साफ तौर पर अंग्रेजी और हिंदी में लिखा हुआ है कि महिलाओं को अंदर प्रवेश की इजाजत नहीं है.
लॉ छात्राओं ने याचिका में कहा था कि उन्होंने दिल्ली पुलिस सहित कई प्रशासनिक अधिकारियों से कई बार इस बारे में बातचीत करने की कोशिश की लेकिन उनसे कोई जवाब नहीं मिला तो हाई कोर्ट का रुख किया.
याचिका में केंद्र, दिल्ली सरकार, पुलिस और दरगाह के ट्रस्ट प्रबंधक को गर्भ गृह में महिलाओं के प्रवेश को लेकर गाइडलाइंस तैयार करने की मांग की गई है और महिलाओं के प्रवेश पर प्रतिबंध को 'असंवैधानिक' घोषित करने की मांग की.
पुणे की लॉ छात्राओं ने याचिका में कहा था कि जब सुप्रीम कोर्ट ने केरल के सबरीमाला मंदिर में सभी उम्र के महिलाओं को प्रवेश की अनुमति दे दी तो फिर देश की राजधानी में इस तरह का भेदभाव क्यों है?
इन छात्राओं को दरगाह के गर्भ गृह में महिलाओं के प्रवेश के प्रतिबंध के बारे में जानकारी तब मिली इन्होंने 27 नवंबर को दरगाह को देखने गई थीं. याचिका में यह भी कहा गया है कि अन्य पवित्र स्थल जैसे अजमेर शरीफ दरगाह और हाजी अली दरगाह में भी महिलाओं के प्रवेश पर प्रतिबंध नहीं है.
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Source : News Nation Bureau