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हिमाचल चुनाव 2017: उपेक्षा का शिकार चंबा चप्पल, उम्मीद खो चुके हैं कारीगर

हिमाचल के चंबा में हो रहे चुनावो में हर बार की तरह इस बार भी चंबा चप्पल राजनीतिक पार्टियों की प्राथमिकता से बाहर है। कभी चंबा की पहचान माने जाने चंबा चप्पल आज अपने अस्तिव को बचाने की लड़ाई लड़ रही है।

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pradeep tripathi
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हिमाचल चुनाव 2017: उपेक्षा का शिकार चंबा चप्पल, उम्मीद खो चुके हैं कारीगर
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हिमाचल के चंबा में हो रहे चुनावो में हर बार की तरह इस बार भी चंबा चप्पल राजनीतिक पार्टियों की प्राथमिकता से बाहर है। कभी चंबा की पहचान माने जाने चंबा चप्पल आज अपने अस्तिव को बचाने की लड़ाई लड़ रही है।

तस्वीरों में दिख रही ये रंग बिरंगी चंबा चप्पल पूरे देश में मशहूर है। इन चप्पलों की खास बात ये है कि इसे पूरी तरह से हाथ से तैयार किया जाता है और इसपर की जाने वाली माहिम कारीगिरी को करने में कई दिन लगते है। भले ही ये चप्पलें काफी मशहूर हो लेकिन चंबा में इसकी महज़ 4 दुकानें ही बची है।

चंबा चप्पल से जुड़े कई लोग अब इस काम को छोड़ चुके हैं। दरसल समय के साथ-साथ इस काम में खर्च काफी ज्यादा बढ़ गया है और कमाई उतनी नहीं बची है। जिसके कारण अब उससे जुड़े लोग इस काम को छोड़ने पर मजबूर हो रहे है।

इस काम से जुड़े एक कारीगर सुरेश का कहना है, 'हम पढ़े लिखे नहीं हैं। सिर्फ ये काम ही सीखा है, ऐसे में कोई दूसरा रास्ता नहीं है। लेकिन इस मेहनत के बदले उतनी कमाई मिलती नहीं है। अब काम ज्यादा है और पैसे बहुत कम है। सरकारों को हमारे बारे में भी सोचना चाहिए।'

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चंबा चप्पलों से जुड़े दुकानदारों की मानें तो अब नई पीढ़ी को इस काम से बिल्कुल लगाव नही है। उन्हें पता है कि इस काम मे पैसा नहीं है। ऐसे में वो लोग सरकारी नौकरी या फिर दूसरे कामो की और ज्यादा आकर्षित हो रहे है।

इस काम से जुड़े कारीगर सुरेश का कहना है, 'कुछ हद तक तो ऐसे है कि आज की पीढ़ी पड़ी लिखी है। जो भी भागता है तो सरकारी नौकरी के लिए। ज्यादातर लोग पड़े लिखे हैं काम करने वाले काफी कम रह गए हैं। इसमे पैसा बहुत कम है इसलिए कम लोग रह गए हैं। अगर लेबर को पैसा मिल जाये तो हो सकता है कि इसमें इंटरेस्ट पैदा हो जाये।'

वहीं चंबा चप्पल खरीदने आने वाले लोगों का मानना है कि सरकार को इस ओर धयान देना चाहिए ताकि पीढ़ियों से बनाई जा रही इस चंबा चप्पल के अस्तित्व को बचाया जा सके।

एक खरीददार राहुल कहते हैं, 'मेरा मानना है कि चंबा चप्पल लुप्त होती जा रही है। स्थानीय प्रशासन को इस और देखना चाहिए। क्योंकि हम अगर इतनी दूर से आये हैं तो कहीं न कहीं हमने सुना है चंबा चप्पल को यहां जरूर लेकर जाना चाहिए।'

वहीं चंबा चम्पल के व्यवसाय से जुड़े दुकानदारों को राजनीतिक पार्टियों के आश्वासनों पर उम्मीद कम ही है क्योंकि ज्यादातर पार्टियों ने आज तक चंबा चप्पल को लेकर किये किसी भी वायदे को पूरा नहीं किया है।

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दुकानदार, चंबा चप्पल 'जब चुनाव आते है तो बड़े-बड़े सब्ज़ बाग दिखाए जाते है... और कहते हैं कि आपकी चंबा चप्पल को पेटेंट करा देंगे हम इसको बाहर मार्केट देंगे। लेकिन होता कुछ नहीं है, आज तक तो इसी आस पर चलते आये हैं कि सरकार कुछ करेंगे देखते है अब चुनावो के बाद क्या होता है।'

चंबा की पहचान चंबा चप्पल आज अपने आखिरी दौर में है अगर आज भी राजनीतिक दल चंबा चप्पल को लेकर सजग नहीं हुए तो चंबा चप्पल के नाम से जाना जाने वाला चंबा अपनी पहचान पूरी तरह से खो देगा।

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Source : Shahnawaz Khan

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