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आर माधवन ने कहा- राफेल बनाने में सक्षम था HAL, लेकिन...

हिंदुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) के चेयरमैन आर माधवन ने कहा कि 126 राफेल विमानों को खरीदा जाता, तो उनमें कुछ को देश में भी बनाया जा सकता था और कुछ खरीदा जाता.

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nitu pandey
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आर माधवन ने कहा- राफेल बनाने में सक्षम था HAL, लेकिन...

HAL Chairman R Madhavan ( Photo: ANI)

हिंदुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) के चेयरमैन आर माधवन ने कहा कि 126 राफेल विमानों को खरीदा जाता, तो उनमें कुछ को देश में भी बनाया जा सकता था और कुछ खरीदा जाता. लेकिन अब 36 विमानों को लाना है और यहां उसे बनाने का सवाल ही नहीं उठता है. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि एचएएल इसमें अब शामिल नहीं है इसलिए इस पर कोई भी टिप्पणी नहीं करूंगा. इसके साथ ही आर माधवन ने कहा कि एचएएल राफेल विमान बनाने में सक्षम थी. हालांकि मौजूदा सरकार ने अलग से 36 विमान खरीदने का निर्णय लिया, क्योंकि इन्हें जल्द खरीदने की जरूरत थी.

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आर माधवन ने आगे कहा कि 36 विमान के मौजूदा ऑर्डर में टेक्नोलॉजी ट्रांसफर का सवाल ही नहीं था.

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राफेल को लेकर क्या है पूरा मामला-

राफेल विमान सौदा 2012 में यूपीए सरकार के कार्यकाल के दौरान ही हुआ था. शुरुआत में, भारत ने फ्रांस से 18 ऑफ द शेल्फ जेट खरीदने की योजना बनाई थी. इसके अलावा 108 विमानों का निर्माण हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड द्वारा किया जाना था.

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लेकिन मोदी सरकार में इसे बदल 36 राफेल विमान कर दिया गया. 59 हजार करोड़ के राफेल सौदे में फ्रांस की एविएशन कंपनी दसॉल्ट की रिलायंस मुख्य ऑफसेट पार्टनर है. जिसे लेकर विपक्ष मोदी सरकार पर धांधली का आरोप लगा रहा है और जांच की मांग कर रहा है. लेकिन फ्रांस की एक वेबसाइट ने इस डील से लेकर एक नई रिपोर्ट जारी की है. रिपोर्ट में दसॉल्ट एविएशन के कथित डॉक्यूमेंट इसकी पुष्टि करते हैं कि उसके पास अनिल अंबानी की कंपनी को पार्टनर चुनने के अलावा कोई विकल्प ही नहीं था.

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जानें राफेल (Rafale) के बारे में

1. पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के कार्यकाल में लड़ाकू विमान खरीदने की बात चली थी. पड़ोसी देशों की ओर से भविष्य में मिलने चुनौतियों को लेकर वाजपेयी सरकार ने 126 लड़ाकू विमानों को खरीदने का प्रस्ताव रखा था.

2. काफी विचार-विमर्श के बाद अगस्त 2007 में यूपीए सरकार में तत्कालीन रक्षा मंत्री एके एंटोनी की अगुवाई में 126 एयरक्राफ्ट को खरीदने की मंजूरी दी गई. फिर बोली लगने की प्रक्रिया शुरू हुई और अंत में लड़ाकू विमानों की खरीद का आरएफपी जारी कर दिया गया.

3. बोली लगाने की रेस में अमेरिका के बोइंग एफ/ए-18ई/एफ सुपर हॉरनेट, फ्रांस का डसॉल्‍ट राफेल (Rafale), ब्रिटेन का यूरोफाइटर, अमेरिका का लॉकहीड मार्टिन एफ-16 फाल्‍कन, रूस का मिखोयान मिग-35 जैसे कई कंपनियां शामिल हुए लेकिन बाजी डसाल्ट एविएशन के हाथ लगी.

4. जांच-परख के बाद वायुसेना ने 2011 में कहा कि राफेल (Rafale) विमान पैरामीटर पर खरे हैं. जिसके बाद अगले साल डसाल्ट ए‍विएशन के साथ बातचीत शुरू हुई. हालांकि तकनीकी व अन्य कारणों से यह बातचीत 2014 तक किसी नतीजे पर नहीं पहुंची.

5. काफी दिनों तक मामला अटका रहा. नरेंद्र मोदी की सरकार बनने के बाद राफेल (Rafale Deal) पर फिर से चर्चा शुरू हुई. 2015 में पीएम मोदी फ्रांस गए और उसी दौरान राफेल (Rafale) लड़ाकू विमानों की खरीद को लेकर समझौता किया गया. समझौते के तहत भारत ने जल्द से जल्द 36 राफेल (Rafale) लेने की बात की.

Source : News Nation Bureau

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