मथुरा श्रीकृष्ण जन्मभूमि शाही ईदगाह मस्जिद विवाद को लेकर मथुरा की अदालत में विचाराधीन नौ मुकद्दमों का ट्रायल इलाहाबाद हाईकोर्ट में होगा. भगवान श्रीकृष्ण विराजमान व 7 अन्य की तरफ से इन सभी मुकद्दमों का हाईकोर्ट में ट्रायल करने के लिए स्थानांतरित करने की मांग में दाखिल अर्जी हाईकोर्ट ने मंजूर कर ली है. मथुरा अदालत में लंबित सभी मुकद्दमों को वापस लेने तथा हाईकोर्ट स्थानांतरित करने की हाईकोर्ट ने अपनी अंतर्निहित शक्तियों का इस्तेमाल किया है. अर्जी पर अधिवक्ता हरिशंकर जैन, विष्णु जैन, प्रभाष पांडेय व प्रदीप कुमार शर्मा तथा विपक्षी की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता वजाहत हुसैन व पुनीत गुप्ता ने पक्ष रखा.
कोर्ट ने फैसला सुरक्षित कर लिया था और 26 मई को फैसला सुनाया. न्यायमूर्ति अरविंद कुमार मिश्र ने अयोध्या के श्रीराम जन्मभूमि विवाद मामले का उल्लेख करते हुए कहा कि मुद्दे राष्ट्रीय महत्व के है. जिनमें श्रीकृष्ण जन्मभूमि मथुरा जो महाराजा कंस की जेल थी, में पूजा के अधिकार एवं उसपर बनी मस्जिद को हटाने का दोनों धर्म हिंदू मुस्लिम करोड़ों लोगों की भावना ,आस्था व विश्वास से जुड़ा राष्ट्रीय महत्व का मामला है. कानूनों व संविधान के अनुच्छेदों की व्याख्या की जानी है. वक्फ ट्रस्ट में भेद तय करना है. संवेदनशील मुद्दे जुड़े हुए है. इसमें कानूनी प्रश्न निहित है जो पूरे देश को प्रभावित करेगा. ऐसे में विवाद का हल राज्य की सर्वोच्च अदालत में किया जाए. कोर्ट ने कहा अधीनस्थ अदालत में ट्रायल में देरी होगी. न्याय हित व वादकारियों का समय बचाने के लिए राम जन्मभूमि की तरह श्रीकृष्ण जन्मभूमि स्थल के मुद्दे का हल हाईकोर्ट में निकाला जाए.
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कोर्ट ने कहा भगवान श्रीकृष्ण मानव रूप में जेल में प्रकट हुए. मान्यता है कि जेल पर मस्जिद बनी हुई है. अधिकारों व इतिहास का भी विषय है. प्लेसेस आप वर्शिप एक्ट 1991 लागू होगा या नहीं,तय होना है. संविधान का अनुच्छेद 25,26,व300ए ,सेवाइत, जन्मस्थान जैसे कई सवालों के जवाब तलाशने होंगे. सभी मामले एक साथ हाईकोर्ट में सुने जाने से किसी के अधिकार प्रभावित नहीं होंगे. सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड व शाही ईदगाह मस्जिद इंतजामिया कमेटी ने केसों के हाईकोर्ट स्थानांतरित करने का विरोध किया कहा कि सिविल कोर्ट को ट्रायल करने का अधिकार है.वहां भी ट्रायल हो सकता है.
किंतु हाईकोर्ट ने कहा लोक महत्व का मामला है. कई संवैधानिक व कानूनी व्याख्या के मुद्दे निहित है. जिनका निस्तारण हाईकोर्ट में किया जाए. कोर्ट ने जिला जज मथुरा को वादों की सूची तैयार कर दो हफ्ते में पत्रावली हाईकोर्ट भेजने का निर्देश दिया है और मुख्य न्यायाधीश से सुनवाई हेतु न्याय पीठ नामित करने का अनुरोध किया है. कोर्ट ने जिला जज को आदेश का पालन सुनिश्चित करने का आदेश दिया है और कोर्ट को कानूनी सहयोग के लिए वरिष्ठ अधिवक्ता मनीष गोयल व अंजली गोकलानी को न्यायमित्र नियुक्त किया है.
Source : News Nation Bureau