वित्त 2017-18 से रेल बजट अलग से पेश नहीं किया जा रहा है। इस बार 1 फरवरी को वित्त मंत्री जब संसद में आम बजट पेश करेंगे तब इसमें ही रेल बजट भी पेश कर दिया जाएगा। यानि कि इस बार आम बजट में ही सरकार रेल का भी बजट तय कर देगी।
इसी के साथ दो दिवसीय बजट उत्सव सिमट कर एक ही दिन में मना लिया जाएगा। उत्सव इसीलिए क्योंकि पत्रकार बिरादरियों के साथ ही देश की आम जनता के लिए भी यह दो दिन बेहद ख़ास होते थे।
आम लोग टकटकी लगाए टीवी के सामने डेढ़-पौने दो घंटे बैठे रहते थे इस उम्मीद के साथ कि क्या निकलेगा सरकार के पिटारे से बाहर ख़ास उनके लिए। इसलिए बजट सत्र का इंतज़ार हर आमोख़ास को रहता था।
लेकिन इस बार केंद्र की सरकार 92 साल पुरानी यह परंपरा ख़त्म कर पहली बार आम बजट के साथ ही रेल बजट पेश कर रही है। सरकार का तर्क है कि इससे राजस्व पर बोझ कम होगा और साथ ही दो अलग-अलग बजट पर होने वाली मेहनत और समय की बचत होगी।
एक नज़र भारतीय रेलवे के इतिहास और आज पर -
- ब्रिटिश राज में रेलवे सबसे बड़ा विभाग था। रेलवे जैसे बड़े विभाग के कामकाज को ठीक प्रकार संभालने के लिए ब्रिटिश शासकों ने एक कमेटी गठित की थी।
- ब्रिटिश सरकार द्वारा गठित 10 सदस्यों की कमेटी को एकवर्थ कमेटी कहा जाता है।
- इस समिति के अध्यक्ष ब्रिटिश रेलवे के अर्थशास्त्री विलियम एकवर्थ थे, और इन्हीं के नाम पर इसे एकवर्थ कमेटी कहा गया।
- एकवर्थ कमेटी की सिफारिशों पर अमल करते हुए ब्रिटिश सरकार ने साल 1924 में रेलवे बजट को आम बजट से अलग कर दिया।
- भारत में पहली रेल 1853 में मुंबई (तब का बंबई) से थाणे के बीच चलाई गई थी।
- साल 1994 में रेल बजट को भारतीय इतिहास में पहली बार प्रसारित किया गया।
- वर्तमान रेलमंत्री सुरेश प्रभु भारत के 38वें रेलमंत्री है। भारत के पहले रेल मंत्री असफ अली थे। इनका कार्यकाल 2 सिंतबर 1946 से 14 अगस्त 1947 तक था।
- भारतीय रेलवे अमेरिका और चीन के बाद दुनिया की तीसरा सबसे बड़ा रेल विभाग है। 85,500 किसी का नेटवर्क एरिया कवर करती है।
- सबसे ज़्यादा नौकरियां मुहैया कराने में भारतीय रेलवे दुनिया का 8वां सबसे बड़ा विभाग है। भारतीय रेलवे में 10 लाख से भी ज़्यादा कर्मचारी हैं।
- भारतीय रेल में रोज़ाना करीब ढाई करोड़ लोग यात्रा करते हैं यह संख्या न्यूज़ीलैंड, ऑस्ट्रेलिया और तसमानिया जैसे देशों की कुल जनसंख्या के बराबर है।
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Source : Shivani Bansal