केंद्र सरकार द्वारा दो जजों की नियुक्ति में हो रही देरी को लेकर सुप्रीम कोर्ट के एक शीर्ष जज ने कॉलेजियम सिस्टम में सरकार के दख़ल के ख़िलाफ़ चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा को एक ख़त लिखा है।
उन्होंने ख़त में सरकारी हस्तक्षेप को लेकर आपत्ति ज़ाहिर करते हुए लिखा कि इस फ़ैसले की वजह से आज सुप्रीम कोर्ट का अस्तित्व और प्रसांगिकता ख़तरे में है।
जस्टिस कुरियन जोसेफ ने चिट्ठी में लिखा, 'इतिहास हमें माफ़ नहीं करेगा यदि सरकार इस अभूतपूर्व कानून के तहत कॉलेजियम सिस्टम में घुसकर जजों और वरिष्ठ वकीलों के पदोन्नति संबंधी अहम फ़ैसले लेगी और कोर्ट चुपचाप तमाशा देखता रहेगा।'
बता दें कि यह चिट्ठी 9 अप्रैल को लिखी गई है साथ ही इसे चीफ़ जस्टिस के अलावा 22 अन्य जजों को भी भेजा गया है।
दरअसल 10 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम में शीर्ष जजों के एक समूह ने वरिष्ठ अधिवक्ता इंदु मल्होत्रा, जस्टिस केएम जोसेफ़ और उत्तराखंड हाई कोर्ट के चीाफ़ जस्टिस को सुप्रीम कोर्ट के लिएअनुशंसा की थी। तीन महीने के बाद भी केंद्र सरकार ने अब तक इस फैसले पर अपनी सहमति नहीं दी है इसलिए अब तक इन सब की अनुशंसा रुकी हुई है।
जिसके बाद जस्टिस कुरियन जोसेफ़ ने सुप्रीम कोर्ट को सुझाव दिया है कि 'इस मामले में अदालत तत्काल प्रभाव से 7 जजों की एक बेंच बनाए और लंबित नियुक्ति को ख़त्म करने के लिए एक आदेश पास करे।'
जोसेफ़ ने कहा, 'यह पहली बार हुआ है जब अनुशंसा के तीन महीने बाद भी कोर्ट को यह नहीं पता है कि आगे क्या होगा।'
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Source : News Nation Bureau