गृह मंत्रालय ने पाकिस्तान और चीन के साथ युद्ध के बाद वहां की नागरिकता लेने वाले लोगों द्वारा छोड़ी गई शत्रु संपत्तियों यानी अचल संपत्तियों को बेचने की प्रक्रिया शुरू कर दी है. एक अधिसूचना के अनुसार शत्रु संपत्तियों के निस्तारण के दिशा-निर्देशों में बदलाव किया गया है, जिसके तहत संपत्तियों की बिक्री से पहले जिला मजिस्ट्रेट या उपायुक्त की मदद से अब शत्रु संपत्तियों को खाली करने की प्रक्रिया शुरू की जाएगी. अधिसूचना के दिशा-निर्देशों में कहा गया है कि 1 करोड़ रुपये से कम मूल्य की शत्रु संपत्ति के मामले में संरक्षक पहले रहने वाले को खरीदने की पेशकश करेगा और यदि कब्जा करने वाले द्वारा खरीद की पेशकश से इनकार कर दिया जाता है, तो शत्रु संपत्ति का निपटारा नियमों में निर्दिष्ट प्रक्रिया के अनुसार किया जाएगा.
केंद्र ने पहचान के लिए कराया था राष्ट्रीय सर्वेक्षण
केंद्र ने 20 राज्यों और तीन केंद्र शासित प्रदेशों में फैली शत्रु संपत्तियों का एक राष्ट्रीय सर्वेक्षण शुरू किया था. मकसद शत्रु संपत्ति कर बाद में उनका मुद्रीकरण किया जा सके. सीईपीआई द्वारा पहचानी गई शत्रु संपत्तियां को रक्षा संपदा महानिदेशालय द्वारा किए गए सर्वेक्षण में वर्तमान स्थिति और संपत्ति के मूल्य का आकलन किया जाएगा. देश में शत्रु संपत्ति कहे जाने वाले कुल 12,611 प्रतिष्ठान हैं, जिनकी कीमत एक लाख करोड़ रुपये से अधिक होने का अनुमान है. शत्रु संपत्तियां सीईपीआई में निहित हैं, जो शत्रु संपत्ति अधिनियम के तहत बनाया गया एक प्राधिकरण है. गृह मंत्रालय की 2021-22 की वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार शत्रु संपत्तियों में ज्यादातर चल संपत्ति जैसे शेयर और सोना के निपटान से सरकार ने 3,400 करोड़ रुपये से अधिक की कमाई की है.
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इन राज्यों में हैं शत्रु संपत्तियां
हालांकि अभी तक किसी भी अचल शत्रु संपत्ति की बिक्री नहीं हुई है. गृह मंत्रालय ने शत्रु संपत्तियों के मुद्रीकरण की निगरानी के लिए 2020 में गृह मंत्री अमित शाह की अध्यक्षता में मंत्रियों के एक समूह का गठन किया था. सीईपीआई में निहित 12,611 संपत्तियों में से 12,485 पाकिस्तानी नागरिकों से संबंधित थीं और 126 चीनी नागरिकों से संबंधित थीं. उत्तर प्रदेश (6,255), पश्चिम बंगाल (4,088), दिल्ली (659), गोवा (295), महाराष्ट्र (208), तेलंगाना (158), गुजरात (151), त्रिपुरा (151) में शत्रु संपत्तियों की सबसे अधिक संख्या पाई गई. बिहार (94), मध्य प्रदेश (94), छत्तीसगढ़ (78) और हरियाणा (71)। केरल में 71, उत्तराखंड में 69, तमिलनाडु में 67, मेघालय में 57, असम में 29, कर्नाटक में 24, राजस्थान में 22, झारखंड में 10, दमन और दीव में चार और आंध्र प्रदेश और अंडमान निकोबार द्वीप समूह में एक-एक शत्रु संपत्तियां हैं.
HIGHLIGHTS
- 12,611 शत्रु संपत्तियों में 12,485 पाकिस्तानी नागरिकों से संबंधित
- देश भर में शत्रु संपत्ति कहे जाने वाले कुल 12,611 प्रतिष्ठान हैं
- इन शत्रु संपत्तियों की अनुमानित कीमत एक लाख करोड़ से अधिक