केंद्रिय गृह मंत्रालय ने अपनी सालाना रिपोर्ट 2021-22 में दावा किया है कि नार्थ ईस्ट में उग्रवाद की घटनाओं और देश में नक्सली हिंसा की घटनाओं में भारी कमी आई है. रिपोर्ट के मुताबिक 2014 के मुकाबले साल 2021 में उत्तरपूर्वी राज्यों में उग्रवादी घटनाओं में 74 फीसदी और देशभर में नक्सलवाद की घटनाओं में 55 फीसदी तक की कमी देखी गई है. यही नहीं देश की आंतरिक सुरक्षा में भी काफी हद तक सुधार हुआ है.
गृह मंत्रालय के अनुसार पूर्वोत्तर राज्यों में सुरक्षा की स्थिति में 2014 के बाद से काफी सुधार हुआ है. रिपोर्ट के मुताबिक इन राज्यों में वर्ष 2020 में उग्रवाद की घटनाएं और सुरक्षा बलों तथा नागरिकों की मौतों के मामले सबसे कम दर्ज हुए हैं. वहीं साल 2014 की तुलना में 2021 में पूर्वोत्तर में उग्रवाद की घटनाओं में 74 फीसदी तक की कमी आई है. इसी तरह इस अविधि में सुरक्षा बलों की मौत में 60 प्रतिशत और नागरिकों की मृत्यु में 89 प्रतिशत की कमी हुई है.
गृह मंत्रालय ने बताया कि 2014 से लेकर 2021 तक के बीच पूर्वोत्तर में कुल 581 उग्रवादी मारे गए हैं. वहीं 9103 को गिरफ्तार किया गया है. इसके अलावा इस अविधि में कुल 126 सुरक्षा बल और 413 आम नागरिक भी मारे गए हैं.
वहीं दूसरी तरफ बीते आठ वर्षों में देश में नक्सल हिंसा की वारदातों में भी 55 फीसदी की कमी आई है. इन घटनाओं में मरने वालों की संख्या भी 63 फीसदी कम हुई है. गृह मंत्रालय की सालाना रिपोर्ट के मुताबिक साल 2013 की तुलना में 2021 में नक्सलवाद की घटनाएं 1136 से 509 हो गईं और इन वारदातों में मरने वालों की संख्या 397 से घटकर 147 बची.
रिपोर्ट के अनुसार 2021 में आठ राज्यों में फैले 46 जिलों में 191 पुलिस थानों के तहत नक्सलवादी हिंसा की सूचना मिली, जबकि 2013 में 10 राज्यों में फैले 76 जिलों के 330 पुलिस स्टेशनों में नक्सली हिंसा हुई थी. हिंसा के दायरे को काफी हद तक प्रतिबंधित कर दिया गया है और केवल 25 जिलों में वामपंथी उग्रवाद की 90 प्रतिशत हिंसा हुई है.
गृह मंत्रालय ने बताया कि भाकपा (माओवादी) देश के विभिन्न वामपंथी उग्रवादी संगठनों में सबसे शक्तिशाली बना हुआ है. कुल नक्सली हिंसक घटनाओं में 90 प्रतिशत से अधिक और इनसे होने वाली 95 फीसदी मौतों के लिए वही जिम्मेदार है.
Source : IANS