दार्जिलिंग से सुरक्षा बलों को हटाए जाने को लेकर ममता सरकार से उठे विवाद के बाद केंद्र सरकार ने राज्यों को कहा है कि अर्ध सैनिक बल राज्य की पुलिस फोर्स का विकल्प नहीं हो सकते हैं।
केंद्रीय गृहमंत्रालय की तरफ से भेजे गए पत्र में राज्य सरकारों को कहा है कि वो एक समिति का गठन करें जो खुफिया जानकारी, आतंरिक सुरक्षा और केंद्रीय बलों की उपलब्धता के आधार पर सेंट्रल आर्म्ड पुलिस फोर्स की ज़रूरतों की समीक्षा करे।
गृहमंत्रालय ने कहा है, 'सीएपीएफ राज्य की पुलिस फोर्स का विकल्प नहीं हो सकते क्योंकि इनकी तैनाती इंरजेंसी की स्थिति में की जाती है जब राज्यों में कानून और व्यवस्था की स्थिति खराब हो।'
केंद्र का यह सुझाव तब आया है जब पश्चिम बंगाल सरकार ने कलकत्ता हाईकोर्ट से अपील कर दार्जिलिंग से सुरक्षा बलों को हटाने के केंद्र के फैसले पर रोक लगवाई थी।
और पढ़ें: जम्मू-कश्मीर: त्राल में आतंकियों ने पुलिसकर्मी को मारी गोली, मौत
दार्जिलिंग में अब भी तनाव है और केंद्र के सुरक्षा बलों को हटाने के फैसले के बाद राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने गृहमंत्री राजनाथ सिंह से बात कर विरोध दर्ज किया था।
पत्र में कहा गया है कि राज्य सरकारें कई बार ऐसे समय में भी सुरक्षा बलों की मांग करती है जब वो खुद अपने संसाधनों से सुरक्षा की मांग को पूरी कर सकती हैं।
पत्र में कहा है, 'राज्य सरकारें सीएपीएफ को वापस भेजने को लेकर उदासीन होती हैं और लगातार उनकी तैनाती को बढ़ाए जाने की मांग करती हैं। लेकिन उनकी मांग को तभी पूरा किया जाए जब ये सुनिश्चित हो जाए कि सुरक्षा जरूरतें इसके लिये उपयुक्त हैं।'
इसमें कहा गया है, 'सीएपीएफ की तैनाती में खर्च आता है और राज्य सरकारों को इस खर्च का वहन नियमों के अनुसार करना चाहिये। लेकिन राज्य सरकारों और केंद्र शासित राज्यों पर काफी बकाया है।'
पत्र में राज्य सरकारों से कहा गया है कि वो नियमों के तहत ही केंद्रीय बलों की मांग करें। पत्र में कहा गया है, 'सरकार ने कई इंडिया रिज़र्व बटालियनो को राज्य सरकारों को भेजा है। लेकिन इसका उपयोग क्षमता के अनुसार नहीं किया जा रहा है।'
और पढ़ें: बोफोर्स घोटाला: जासूस हर्शमैन के दावों की जांच करेगी सीबीआई
Source : News Nation Bureau