दिल्ली राज्य उपभोक्ता आयोग ने कहा है कि मकान खरीदार पैसा देने के बाद फ्लैट पर कब्जे को लेकर अनिश्चितकाल तक इंतजार नहीं कर सकते. आयोग की यह टिप्पणी रीयल एस्टेट कंपनी यूनिटेक को गुड़गांव के एक मकान खरीदार को 9 लाख रुपये से अधिक राशि वापस करने का आदेश देने के बाद सामने आई है. कंपनी द्वारा मकान खरीदार को अपार्टमेंट देने में नाकाम रहने पर आयोग ने यह निर्देश दिया है.
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10 फीसदी सालाना ब्याज के साथ पैसा लौटाने का आदेश
शीर्ष उपभोक्ता अदालत ने यूनिटेक को गुड़गांव निवासी रवीन्द्र मिधा को 45 दिन के भीतर 9,79,326 करोड़ रुपये 10 फीसदी सालाना ब्याज के साथ लौटाने को कहा है. ब्याज तब से देने को कहा गया है जब से खरीदार ने भुगतान किया है. उन्होंने मकान के लिये यह राशि दी थी लेकिन उन्हें फ्लैट नहीं मिला.
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आयोग ने मामले पर गौर करते हुये कहा कि यूनिटेक छह साल बाद भी फ्लैट का निर्माण करने और उसकी सुपुर्दगी करने में विफल रही जबकि कंपनी ने इसके लिये राशि ले ली थी. इस तरह से कंपनी अनुचित व्यापार गतिविधियों शामिल रही और खरीदार की खून-पसीने की कमाई को अपने पास रखे रही.
उपभोक्ता अदालत ने कहा कि प्रतिपक्ष (यूनिटेक) फ्लैट की पेशकश करने की स्थिति में नहीं है. ऐसे में वह 10 प्रतिशत सालाना ब्याज के साथ पूरी राशि लौटाये. यह ब्याज उस दिन से दिया जाना चाहिये जिस दिन से खरीदार ने भुगतान किया. आयोग ने कहा कि शिकायकर्ता से यह अपेक्षा नहीं की जा सकती कि वह अनिश्चित काल तक फ्लैट का इंतजार करे. मिधा की शिकायत के अनुसार उन्होंने यूनिटेक के यूनिहोम्स परियोजना में दो कमरों वाला (2बीएचके) फ्लैट 21 मई 2011 को 23,80,824 रुपये में बुक कराया था. कुल राशि में से उन्होंने 9,79,326 रुपये का भुगतान किया.
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मिधा ने कहा कि इतना पैसा देने के बाद भी यूनिटेक फ्लैट देने में नाकाम रही और वह अभी भी किराये के मकान में रह रहे हैं. मिधा ने इससे पहले 2017 में बिल्डर को कानूनी नोटिस भी भेजा था जिसका कोई जवाब नहीं दिया गया. उन्होंने अपनी शिकायत में आरोप लगाया कि यह परियोजना बहु-मंजिला-मल्टी-टावर काम्पलैक्स की थी, अभी तक पूरी नहीं हुई और उन्हें सहित किसी भी खरीदार को अभी तक फ्लैट का कब्जा नहीं दिया गया.